tag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post3856649820539918636..comments2024-03-11T20:46:17.151+05:30Comments on विश्वमोहन उवाच : वैदिक वाङ्गमय और इतिहास बोध ------ (११)विश्वमोहनhttp://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-27057120925500265062021-02-06T13:19:00.581+05:302021-02-06T13:19:00.581+05:30जी, अत्यंत आभार आपके इस रुचिपूर्ण अध्ययन का !जी, अत्यंत आभार आपके इस रुचिपूर्ण अध्ययन का !विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-87033407556621647162021-02-06T11:57:32.350+05:302021-02-06T11:57:32.350+05:30"ऐसे ढेर सारे अन्य तमाम सबूत भी भरे पड़े हैं ..."ऐसे ढेर सारे अन्य तमाम सबूत भी भरे पड़े हैं जो यह साबित करते हैं कि भारोपीय भाषाओं का भ्रमण पश्चिम दिशा की ओर हुआ न कि पूरब दिशा में। "<br />"ऋग्वेद और आर्य सिद्धांत" श्रीकांत तलगेरी जी का ये शोधकार्य अतुलनीय है,हमें भी अपने वेदों की सत्यता का सही ज्ञान कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद आपका Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-47410311066735761462020-12-21T20:39:14.676+05:302020-12-21T20:39:14.676+05:30बहुत खुशी हुई जानकर कि आपके बेटे की रुचि इस क्षेत्...बहुत खुशी हुई जानकर कि आपके बेटे की रुचि इस क्षेत्र में है। भगवान उसके इस समृद्ध संस्कार को बनाये रखे। फिर तो आप दोनों मेरी इस श्रृंखला यात्रा में साथ-साथ चलें और विमर्श भी करते रहें। बहुत आभार आपका।विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-71567765437503839512020-12-21T18:44:33.830+05:302020-12-21T18:44:33.830+05:30आदरणीय विश्वमोहन जी ,मैं वेदों के प्रसंगों से बहुत...आदरणीय विश्वमोहन जी ,मैं वेदों के प्रसंगों से बहुत कम परिचित हूँ, पर थोड़ा समझने की कोशिश कर रहीं हूँ, अच्छा लगा आपका ये शोध, बहुत महान कार्य कर रहे हैं आप, मेरे बेटे की ऐसे विषयों में रुचि है मैं उसको आप के लेख दिखाती हूँ, नई पीढ़ी आप से बहुत प्रेरणा लेगी..शुभकामना सहित जिज्ञासा सिंह..!जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-43589485688821343522020-11-23T13:02:22.115+05:302020-11-23T13:02:22.115+05:30बहुत आभार आपका हमारे इन लेखों के साथ-साथ चलने का!!...बहुत आभार आपका हमारे इन लेखों के साथ-साथ चलने का!!!!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-27803870756579717852020-11-19T00:22:20.693+05:302020-11-19T00:22:20.693+05:30आश्चर्य होता है ऋग्वेद के साथ अवेस्ता में भी '...आश्चर्य होता है ऋग्वेद के साथ अवेस्ता में भी 'पौरिहत्य ' कर्म के निर्वहन का उल्लेख है | विभिन्न संस्कृतियों के अपने- अपने धर्म संस्कार और उपक्रम हैं | ‘पुरु’, ‘अणु’ और ‘दृहयु जनजातियों के धार्मिक अनुष्ठानों में दो केंद्रीय तत्व यानी अग्नि पूजा और मंत्रोच्चारण <br /> का समान रूप से निर्वहन हैरान करता है | और अंगिराऋषि और भृगु ऋषि जैसे बड़े ऋषियों के नाम इनसे जुड़ने पर इनकी प्रमाणिकता में संदेह करना निश्चित रूप से अज्ञानता ही होगी | सादर रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-12794858875610543752020-10-24T12:21:51.272+05:302020-10-24T12:21:51.272+05:30जी बहुत आभार! शुभ विजया!!जी बहुत आभार! शुभ विजया!!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.com