tag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post6051442869179769732..comments2024-03-11T20:46:17.151+05:30Comments on विश्वमोहन उवाच : अभिसार का आसवविश्वमोहनhttp://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-40671774346405084612021-04-24T04:52:00.649+05:302021-04-24T04:52:00.649+05:30जी सादर आभार आपके आशीर्वचनों का।जी सादर आभार आपके आशीर्वचनों का।विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-32294074557611889232021-04-24T00:15:08.302+05:302021-04-24T00:15:08.302+05:30आँखों में उसकी छलकेगा
अभिसार का आसव।
और प्रेम की क...आँखों में उसकी छलकेगा<br />अभिसार का आसव।<br />और प्रेम की कुञ्ज वीथी में,<br />कुजे कोकिल कलरव।<br />समसामयिक नकारात्मकता और दूरियों वाले इस माहोल में<br />अभिसार के आसव को छलकाती आपकी यह रचना वाकई दिनकर जी की 'उर्वशी'की तरह ही मनभावनी एवं उत्कृष्ट कृति है...पुरुष मन के उद्गारों पर आधारित इस अद्भुत एवं लाजवाब कृति हेतु हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं🙏🙏🙏🙏<br />Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-61045955748041058602021-04-23T19:46:08.657+05:302021-04-23T19:46:08.657+05:30जी, सादर आभार।जी, सादर आभार।विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-79322259885006853422021-04-23T19:38:17.915+05:302021-04-23T19:38:17.915+05:30आपकी इस रचना पर प्रिय रेणु की टिप्पणी के बाद कुछ श...आपकी इस रचना पर प्रिय रेणु की टिप्पणी के बाद कुछ शेष नहीं बचा कुछ कहने को ... <br /><br />भाव विभोर करती सुन्दर रचना ... संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-75888454772987534992021-04-23T15:07:10.456+05:302021-04-23T15:07:10.456+05:30जी, सादर आभार आपके सुंदर भावों का!जी, सादर आभार आपके सुंदर भावों का!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-23574528364397229142021-04-23T14:55:22.822+05:302021-04-23T14:55:22.822+05:30बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति,मन में उतर गई,आपको हार्दि...बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति,मन में उतर गई,आपको हार्दिक शुभकामनाएं।जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-36141225086154207572021-04-23T09:50:46.602+05:302021-04-23T09:50:46.602+05:30वाह अद्भुत... बेहद खूबसूरत सृजन आदरणीय।वाह अद्भुत... बेहद खूबसूरत सृजन आदरणीय।Anuradha chauhanhttps://www.blogger.com/profile/14209932935438089017noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-69589509185924559032021-04-23T09:19:16.642+05:302021-04-23T09:19:16.642+05:30जी, अत्यंत आभार आपके इस सुंदर साहित्यिक विश्लेषण क...जी, अत्यंत आभार आपके इस सुंदर साहित्यिक विश्लेषण का। यदि 'रश्मिरथी' दिनकर की सबसे अधिक पढ़ी गयी कृति है तो 'उर्वशी' उनकी सबसे अधिक चर्चित और साहित्य जगत में उद्वेलन पैदा करने वाली रचना। कवि ने अनकही भावनाओं को अपनी कविता के आख्यान बनाने का एक अत्यंत दुष्कर साहित्यिक दुस्साहस किया है।विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-13750405268421551142021-04-22T23:08:52.911+05:302021-04-22T23:08:52.911+05:30बहुत अच्छे आदरणीय कविवर! एक उत्तम प्रयास अमर कवि द...बहुत अच्छे आदरणीय कविवर! एक उत्तम प्रयास अमर कवि दिनकर की प्रगाढ़ श्रृंगार रचना के सुर में सुर मिलाने का, वो भी पुरुष के मनोविज्ञान को बखूबी उद्घाटित करने का! राष्ट्रकवि दिनकर ने 'उर्वशी 'के रूप में अपनी राष्ट्रवादी छवि के वीपरीत पुरुरवा और उर्वशी की प्रेम कथा के पौराणिक आख्यान को अपने महाकाव्य का आधार बनाया! जिसमें लौकिक और आलौकिक धरातल से लेकर आध्यात्मिक उत्कर्ष तक सहज प्रेम को सहज अभिव्यक्ति मिली! जहाँ उर्वशी और पुरुरवा सनातन नारी और नर के प्रतीक बन कर उभरे, भले नाम पौराणिक पात्रों का रहा! उस पर, राष्ट्रकवि की, संयोग -वियोग के अभिराम रसों से सुसज्जित ये महाकविता ज्ञानपीठ ले गयी, जो किसी चमत्कार से कम ना था! कवि दिनकर की तरह पुरुष मन के उद्गारों को अभिव्यक्ति दे आपने अपने मंजे काव्य हुनर का परिचय दिया है! अनुप्रास के अलंकरण से रचना खिल पड़ी है! आपको हार्दिक बधाई इस नये प्रयोग के लिए🙏🙏<br /><br />अमरकवि दिनकर को उनकी पुण्य तिथि पर सादर नमन! साहित्याकाश में उनकी कीर्ति सूर्य सम ही अटल और अमर है🙏🙏 🌹🙏🙏रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-78075188860501359722021-04-22T20:28:09.814+05:302021-04-22T20:28:09.814+05:30जी, अत्यंत आभार।जी, अत्यंत आभार।विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-37921038645913138032021-04-22T17:25:28.535+05:302021-04-22T17:25:28.535+05:30जी, अत्यंत आभार!!!जी, अत्यंत आभार!!!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-51298772430743609192021-04-22T16:33:38.633+05:302021-04-22T16:33:38.633+05:30बहुत सुन्दर ।बहुत सुन्दर ।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-28291993361013261032021-04-22T13:42:37.725+05:302021-04-22T13:42:37.725+05:30जी, अत्यंत आभार।जी, अत्यंत आभार।विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.com