tag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post6505872484657104820..comments2024-03-11T20:46:17.151+05:30Comments on विश्वमोहन उवाच : वैदिक वाङ्गमय और इतिहास बोध ------ (१३)विश्वमोहनhttp://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-70534130849332561622021-02-06T21:54:41.655+05:302021-02-06T21:54:41.655+05:30जी, अत्यंत आभार आपके उत्साह-वर्धन का!!!!जी, अत्यंत आभार आपके उत्साह-वर्धन का!!!!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-63733903034905924972021-02-06T17:34:19.286+05:302021-02-06T17:34:19.286+05:30" ‘रात्रि’ के लिए प्रचलित भारोपीय शब्द है ‘नक..." ‘रात्रि’ के लिए प्रचलित भारोपीय शब्द है ‘नक्त’। क़रीब-क़रीब अन्य सभी शाखाओं में भी ऐसे ही शब्द का का प्रचलन है। जैसे, ग्रीक – नौक्स (आधुनिक ग्रीक में – निक़्त), लैटिन – नौक्टिस, फ़्रांसीसी – नुइट, स्पैनिश – नौक, हित्ती – नेकुज, टोकारियन – नेकाई, जर्मन – नाक्ट, आइरिश- अनौक्त, रूसी – नौक, लिथुआनियन – नक्तिस, अल्बानियन – नते आदि-आदि। "<br /><br />बेहद रोचक ,बहुत कुछ जानने और समझने का अवसर प्रदान कर रहा है आपका ये आलेख ,सादर नमन Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-24902249805292877852020-11-23T12:58:43.181+05:302020-11-23T12:58:43.181+05:30अत्यंत आभार आपका इन गम्भीर और नि:स्वाद लेखों पर पध...अत्यंत आभार आपका इन गम्भीर और नि:स्वाद लेखों पर पधारने का! आपकी इन लेखों में रुचि निस्सन्देह हमें आगे बढ़ने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगी। विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-37786359756247882302020-11-23T12:54:41.632+05:302020-11-23T12:54:41.632+05:30आपके शब्द संजीवनी-से मेरी इस लेख यात्रा में ऊर्जा ...आपके शब्द संजीवनी-से मेरी इस लेख यात्रा में ऊर्जा भर रहे हैं। अत्यंत आभार!!!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-31792845699918692932020-11-22T23:41:47.965+05:302020-11-22T23:41:47.965+05:30 गूढ़लेखन
अब यदि ‘आर्य-आक्रमण-अवधारणा’ को सही मान... गूढ़लेखन<br /><br />अब यदि ‘आर्य-आक्रमण-अवधारणा’ को सही मान लिया जाय तो फिर जिस वैदिक संस्कृति का चित्र ऋग्वेद में उभरता है, वह इतने गाढ़े रूप में न होकर अपनी कल्पित जन्मभूमि की तथाकथित मौलिक ‘आद्य-भारोपीय’ संस्कृति के अत्यंत फीके और क्षीण स्वरूप को ही प्रतिबिम्बित करता। हमने जैसा कि देखा है कि वैदिक भाषा अन्य भाषाओं की जननी न होकर बस भाषा परिवार की अन्य बारह शाखाओं में से एक शाखा मात्र है। अब आप ही यह तय करें कि दक्षिणी रूस की कोख से निकलकर हज़ारों कोस की यात्रा शताब्दियों में तय करने के बाद भारत-भूमि के उत्तरी छोर तक पहुँचते-पहुँचते उस भारोपीय संस्कृति के कितने अंश बच पाते और जो थोड़े बचते भी उसकी थोड़ी-बहुत छाप ही बस ऋग्वेद में झलकनी चाहिए थी। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से ऋग्वेद में आद्य-भारोपीय-भाषा का कोई फीका-सा अंश नहीं मिलता है और न ही ऋचा के रचयिताओं ने अपनी किसी ऐसी स्मृति का उद्घाटन किया है जो उन्हें किसी परदेशी अतीत में बाँधता हो।<br /><br />अप्रतिम! <br />मैं भी <br /><br /><br />सौभाग्य है आपका अनुसरण <br />सादर<br /><br /><br /> सधु चन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/03218271250912628033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-59638615377846927692020-11-19T00:02:07.113+05:302020-11-19T00:02:07.113+05:30 आदरणीय बिश्व्मोहन जी , लेख में शब्दों द्वारा इत... आदरणीय बिश्व्मोहन जी , लेख में शब्दों द्वारा इतिहास की प्रमाणिकता पर शोध निरंतर रोचक होता जा रहा है | मुझे लगता है ऋग्वेद का अनुवाद अंग्रेजों द्वारा किया जाना और उनमें उनकी असीम रूचि ही वेदों का महत्व बताने के लिए काफी है | क्यों कहीं ना कहीं उनके मन की असुरक्षा को भी इंगित करती हैं ऐसी कोशिशें | ग्रिफ़िथ की ये टिप्पणी तो उनकी इस विषय में महत्व पर मानो मुहर ही लगा देती है --<br />“ऋग्वेद की भाषा इस बात को बख़ूबी प्रदर्शित करती है कि ईसाईयत के पैदा होने से पहले के समस्त भारोपीय भाषाओं के जड़-धड़, देवी-देवता, पौराणिक गल्प-कथायें, धार्मिक आस्थाएँ, वहाँ के लोकाचार और उनकी परम्परायें वेद के प्रचंड प्रकाश-पुंज से जगमग हैं।“<br /> तब वेदों को महत्वहीन साबित करने की उनकी कोशिशें भी इसके साथ ही अपना महत्व गंवा देती हैं |सादर रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-401358697197434292020-11-18T11:23:24.396+05:302020-11-18T11:23:24.396+05:30आभार हृदयतल से!आभार हृदयतल से!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-14441340033036242112020-11-18T11:23:11.126+05:302020-11-18T11:23:11.126+05:30आभार हृदयतल से!आभार हृदयतल से!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-89397079708093009602020-11-18T06:35:08.159+05:302020-11-18T06:35:08.159+05:30गहन विवेचन और चिंतन से प्राप्त निष्कर्ष - मन को आश...गहन विवेचन और चिंतन से प्राप्त निष्कर्ष - मन को आश्वस्ति देते हैं.<br />प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-50133072798467853752020-11-17T21:24:45.149+05:302020-11-17T21:24:45.149+05:30वैदिक सभ्यता व संस्कृति का गहन अनुसंधानात्मक आलेख,...वैदिक सभ्यता व संस्कृति का गहन अनुसंधानात्मक आलेख, प्राचीन भारतीय इतिहास की व्यापकता को दर्शाती है, जिसे पढ़ कर अनेक नए विषयों की जानकारी हासिल होती है - - साधुवाद सह। Shantanu Sanyal शांतनु सान्यालhttps://www.blogger.com/profile/06457373513221191796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-15625176460608318902020-11-17T18:48:09.318+05:302020-11-17T18:48:09.318+05:30आभार।आभार।विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-32659157741384040442020-11-17T18:47:47.509+05:302020-11-17T18:47:47.509+05:30आभार!आभार!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-60904477628223912422020-11-17T11:21:53.516+05:302020-11-17T11:21:53.516+05:30आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (18-11-2020)...आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (18-11-2020) को <a href="https://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow"> "धीरज से लो काम" (चर्चा अंक- 3889) </a> पर भी होगी। <br />-- <br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। <br />-- <br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। <br />सादर...! <br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' <br />--डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-282639029666814752020-11-16T22:43:11.034+05:302020-11-16T22:43:11.034+05:30आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द&qu...आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर मंगलवार 17 नवंबर 2020 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद! Ravindra Singh Yadavhttps://www.blogger.com/profile/09309044106243089225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-74108039349769496902020-11-16T20:45:07.957+05:302020-11-16T20:45:07.957+05:30जी, बहुत आभार आपकी संजीवनी बातों का।जी, बहुत आभार आपकी संजीवनी बातों का।विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-20656153188973194042020-11-16T20:42:39.161+05:302020-11-16T20:42:39.161+05:30बहुत मेहनत की है। सधुवाद।बहुत मेहनत की है। सधुवाद।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com