tag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post7151830784684560349..comments2024-03-11T20:46:17.151+05:30Comments on विश्वमोहन उवाच : क्लैव्य त्याज्य एकलव्य बनो तुम!विश्वमोहनhttp://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-82372721732430286812021-07-07T22:51:30.510+05:302021-07-07T22:51:30.510+05:30जी, सही कहा आपने। लेकिन इसके लिए बहुत हद तक ऊपर की...जी, सही कहा आपने। लेकिन इसके लिए बहुत हद तक ऊपर की पीढ़ी भी ज़िम्मेदार है जिसने अपने नीचे की पीढ़ी को परमात्मिक अहसास और सांस्कारिक स्पर्श से वंचित रखा। आप तो विद्यालाय में बच्चों के सीधे सम्पर्क में रहने के कारण नयी पीढ़ी की इस रिक्तता से ज़्यादा रु ब रु होंगी और इसे महसूस भी करती होंगी। आपकी विस्तृत टिप्पणी का आभार।विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-11050891721312861552021-07-07T19:06:28.145+05:302021-07-07T19:06:28.145+05:30नहीं बताते ये आजकल के युवा बच्चे, किसी को कुछ नहीं...नहीं बताते ये आजकल के युवा बच्चे, किसी को कुछ नहीं बताते। चेहरे पर झूठी मुस्कान लिए, दिल में घुटन का सागर छिपाए कभी कुछ जाहिर भी करते हैं तो फेसबुक या वाट्सएप के स्टेटस पर गमगीन पंक्तियों के रूप में !<br /> गलाकाट स्पर्धा, बिखरते परिवार, संतोष और स्नेह की कमी, सबसे बड़ी बात परमपिता परमेश्वर से दूरी और संस्कारों की कमी इनको अंदर ही अंदर घुन की तरह खाए जाती है। <br />क्या आप और हम बिना संघर्षों के ही बढ़े हैं आगे ? बहुत झेला है हम लोगों ने भी। ऐसी कुंठित जवानी परिवार, समाज व देश को क्या<br />संबल देगी ? कोरोना के बाद बहुत सारे युवा ऐसी मनोवस्था में पहुँच रहे हैं। उनको साथ व सहारे की जरूरत है। <br />आपकी रचना ने युवाओं को प्रेरक संदेश दिया है। काश ! वे इसे समझ पाएँ । Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-53910656351557209682020-08-06T22:52:09.218+05:302020-08-06T22:52:09.218+05:30अत्यंत आभार!!!अत्यंत आभार!!!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-20416580944766111842020-08-06T14:13:38.167+05:302020-08-06T14:13:38.167+05:30ये मत भूलो तन-मन-धन
और प्राण नहीं कुछ 'तेरा...ये मत भूलो तन-मन-धन<br />और प्राण नहीं कुछ 'तेरा' है।<br /><br />क्लैव्य त्याज्य एकलव्य बनो तुम<br />लड़ो समर में जीवन के।<br /><br />बहुत सूंदर सलाह ...बेहतरीन अभिव्यक्ति !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-45255518493895419232020-06-21T12:39:51.475+05:302020-06-21T12:39:51.475+05:30जी, सही कहा आपने। अत्यंत आभार।जी, सही कहा आपने। अत्यंत आभार।विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-90229067014509267092020-06-21T11:41:16.616+05:302020-06-21T11:41:16.616+05:30बहुत सुन्दर सार्थक संदेशप्रद लाजवाब सृजन....।
मैं ...बहुत सुन्दर सार्थक संदेशप्रद लाजवाब सृजन....।<br />मैं और मेरा की प्रबलता ही इंसान को स्वार्थी बना देती है...।सिर्फ अपने लिए जीने वाले ही ऐसी करतूतें कर सकते हैं...स्वयं को परिवार से, समाज से , और देश से जोड़ने वालों के सर पर जिम्मेदारियों का बोझा है अवसाद क्या इस विषय में जानने सोचने का वक्त तक उनके पास नहीं होता।Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-10106899624740115852020-06-17T20:34:05.349+05:302020-06-17T20:34:05.349+05:30जी, आभार!!!!जी, आभार!!!!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-79853810612467741732020-06-17T18:41:17.186+05:302020-06-17T18:41:17.186+05:30अवसाद दबे पांव आता है जरा सा केमिकल लोचा सब गड़बड़...अवसाद दबे पांव आता है जरा सा केमिकल लोचा सब गड़बड़ करता है किसी मित्र या परिवार वाले को सब से पहले पता चलता हैं बस वही जरूरत होती हें अपनेपन की बचाने की hindiguruhttps://www.blogger.com/profile/09026018787795712597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-40010207558470706562020-06-17T09:11:00.433+05:302020-06-17T09:11:00.433+05:30जी, बहुत आभार आपकी सारगर्भित टिप्पणी का!!!जी, बहुत आभार आपकी सारगर्भित टिप्पणी का!!!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-59184227921524167032020-06-17T07:13:24.590+05:302020-06-17T07:13:24.590+05:30बहुत सुंदर भावपूर्ण और जीवन का असल निचोड़ क्या होन...बहुत सुंदर भावपूर्ण और जीवन का असल निचोड़ क्या होना चाहिए .... यह बात अगर सब समझ सकें तो नई ऊर्जा आती है जो कर्म को प्रेरित करती है ...<br />मेरा मेरा पता होते हुए भी की नश्वर है ... सब करते हैं ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-32193428301696388702020-06-17T03:10:01.030+05:302020-06-17T03:10:01.030+05:30जी, अत्यंत आभार!!!जी, अत्यंत आभार!!!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-87452948752819824982020-06-17T03:08:49.593+05:302020-06-17T03:08:49.593+05:30आभार, सादर!!!
आभार, सादर!!!<br />विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-21913235327732860762020-06-16T21:46:59.526+05:302020-06-16T21:46:59.526+05:30बहुत सुंदर, प्रेरक, भावपूर्ण और अच्छा सन्देश देती ...बहुत सुंदर, प्रेरक, भावपूर्ण और अच्छा सन्देश देती हुई रचना।Jayanti Prasad Sharmahttps://www.blogger.com/profile/04617834474047935537noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-48119751967725599932020-06-16T20:09:55.877+05:302020-06-16T20:09:55.877+05:30हृदय स्पर्शी सृजन आदरणीय सर .
सादर हृदय स्पर्शी सृजन आदरणीय सर .<br />सादर अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-85900689454277274652020-06-16T11:50:19.743+05:302020-06-16T11:50:19.743+05:30नमस्ते,
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का...नमस्ते,<br /><i><b> आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 16 जून 2020 को साझा की गयी है.........<a href="http://halchalwith5links.blogspot.com/" rel="nofollow"> पाँच लिंकों का आनन्द पर </a>आप भी आइएगा....धन्यवाद! </b></i><br /><br /><br /><br />Ravindra Singh Yadavhttps://www.blogger.com/profile/09309044106243089225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-51411626166489255002020-06-16T10:53:19.570+05:302020-06-16T10:53:19.570+05:30जी, आभार।जी, आभार।विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-25688406392727946562020-06-16T09:34:05.372+05:302020-06-16T09:34:05.372+05:30सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्च...सादर नमस्कार ,<br /><br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-6-2020 ) को <a href="http://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow"> "साथ नहीं कुछ जाना"(चर्चा अंक-3734) </a> पर भी होगी,<br /><br /> आप भी सादर आमंत्रित हैं।<br /><br />---<br /><br />लिंक खुलने में समस्या हुई इसकेलिए क्षमा चाहती हूँ ,मैंने अब सुधार कर दिया हैं। <br /><br />कामिनी सिन्हा<br /><br /><br /><br />Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-74415144939896022272020-06-16T09:27:13.710+05:302020-06-16T09:27:13.710+05:30जी, बहुत सही! आभार आशीष का!!!जी, बहुत सही! आभार आशीष का!!!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-40852553554598777332020-06-16T09:26:27.336+05:302020-06-16T09:26:27.336+05:30जी, बिलकुल सही कहा आपने। संवेदना का यहीं तत्व इंसा...जी, बिलकुल सही कहा आपने। संवेदना का यहीं तत्व इंसान से इंसान को जोड़ता है और इसी जुड़ाव से अवसाद का इलाज निकलता है। दंभ, अहंकार और अलगाव जीवन में विरसता का विष बहाते हैं। आभार आपकी टिप्पणी का!!!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-83378828926926487532020-06-16T08:49:47.562+05:302020-06-16T08:49:47.562+05:30सुंदर, सार्थक और भावपूर्ण रचना आदरणीय विश्वमोहन जी...सुंदर, सार्थक और भावपूर्ण रचना आदरणीय विश्वमोहन जी <br /><br />रह रह कर दिमाग सुशांत की घटना की और चला जाता है <br />समाज और दुनिया से आस रखना आज के समय में मूर्खता है। ..सच कहा आपने हमे खुद को ही संभालना होगए। मगर अवसाद इक सत्य है कटु सत्य , काश समय रहते हम सब सम्भल जाएँ <br /><br /><br />बहुत ही सटीक रचना VenuS "ज़ोया"https://www.blogger.com/profile/03536990933468056653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-30568576551066499302020-06-16T05:30:39.675+05:302020-06-16T05:30:39.675+05:30पल में तोला पल में माशा
सह सके ना हार ना हताशा
काश...पल में तोला पल में माशा<br />सह सके ना हार ना हताशा<br />काश जान पाता हर लड़ाई<br />तुरन्त लड़ी नहीं जाती<br /><br />उम्दा लेखनविभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-89054816786455383152020-06-16T01:10:55.012+05:302020-06-16T01:10:55.012+05:30आभार, सादर!आभार, सादर!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-79340691136506495562020-06-16T01:09:45.640+05:302020-06-16T01:09:45.640+05:30"भीड़ के बीच में अकेलेपन से उपजा अवसाद अनमोल ज..."भीड़ के बीच में अकेलेपन से उपजा अवसाद अनमोल जिंदगियां लील रहा है |" - आज की भागदौड़ वाली दिखावटी ज़िंदगी की असलीयत आपने बयान कर दी। आपके समर्थन का हार्दिक आभार!!!!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-46481335586717633642020-06-16T00:48:29.505+05:302020-06-16T00:48:29.505+05:30नमस्ते,
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों क...नमस्ते,<br /><br /><i><b> आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 16 जून 2020 को साझा की गयी है.........<a href="http://halchalwith5links.blogspot.in/" rel="nofollow"> पाँच लिंकों का आनन्द पर </a>आप भी आइएगा....धन्यवाद! </b></i>Ravindra Singh Yadavhttps://www.blogger.com/profile/09309044106243089225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2376745467710236793.post-42162617330860119062020-06-16T00:09:05.914+05:302020-06-16T00:09:05.914+05:30सुंदर, सार्थक और भावपूर्ण रचना आदरणीय विश्वमोह...सुंदर, सार्थक और भावपूर्ण रचना आदरणीय विश्वमोहन जी | सभ्य समाज में नित बढ्ती आत्महत्याएं , इन्सान की शौहरत और दौलत से भरी ज़िन्दगी पर प्रश्नचिन्ह लगाती हैं | भीड़ के बीच में अकेलेपन से उपजा अवसाद अनमोल जिंदगियां लील रहा है | आज ऐसे ही प्रेरक चिंतन की आवश्यकता है | खुद को टटोलना होगा और खुद का मनोबल खुद ही बढ़ाना होगा |क्योंकि इन्सान की आंतरिक शक्ति ही उसे आत्महत्या जैसे अनर्थ से बचाती है | बहुत अच्छा लिखा आपने | काश !सुशांत राजपूत ने भी खुद को इसी तरह संबल दिया होता | सादर रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.com