Wednesday, 23 December 2020

काव्य-संग्रह 'कासे-कहूँ' का आभासी लोकार्पण

रविवार दिनांक २० दिसम्बर २०२० को अपराह्न ११ बजे मेरे द्वारा रचित काव्य- संकलन ‘कासे कहूँ’ का प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था ‘लेख्य-मंज़ुषा’ के चौथे वार्षिकोत्सव में आभासी लोकार्पण किया गया। सभा की अध्यक्षता पटना विश्वविद्यालय के अंग्रेज़ी विभाग के भूतपूर्व अध्यक्ष, हिंदी एवं अंग्रेज़ी के मूर्धन्य साहित्यकार, कवि एवं उत्कृष्ट चित्रकार श्री शैलेश्वर सती प्रसाद ने की। ‘हस्ताक्षर’ पत्रिका की संस्थापक-संपादक और ‘लाड़ली मीडिया अवार्ड’ से सम्मानित चर्चित साहित्यकार श्रीमती प्रीति अज्ञात, विश्वगाथा प्रकाशन परिवार की लब्धप्रतिष्ठ गुजराती और हिंदी साहित्यकार श्रीमती भावना भट्ट और कवयित्री पूनम मोहन ने इस अवसर पर अपने बहुमूल्य विवेचनात्मक विचार रखे। ‘लेख्य-मंज़ुषा’ परिवार की प्रमुख श्रीमती विभा रानी श्रीवास्तव ने कैलिफ़ोर्निया से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया और अतिथियों का स्वागत किया। अपोलो अस्पताल, नयी दिल्ली की वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर रश्मि ठाकुर के सुमधुर स्वर में पुस्तक के शीर्षक गीत ‘कासे कहूँ हिया की बात ….’  के गायन के साथ कार्यक्रम का प्रारम्भ और समापन हुआ। श्रीमती विभा रानी श्रीवास्तव द्वारा संचालित पूरे कार्यक्रम का सजीव प्रसारण फ़ेसबुक लाइव पर हुआ। 

इस पुस्तक की भूमिका प्रसिद्ध साहित्यकार श्री शिवदयाल ने लिखी है।

इस पुस्तक का कवर डिजाइन चित्रकार श्री राकेश कुमार ने किया है।

हम अपने पाठकों का हृदय से आभार व्यक्त करते हैं जिनकी बहुमूल्य प्रेरणा एवं प्रोत्साहन ने हमारे अंदर सृजन के संस्कार को पुष्ट किया।


पुस्तक का अमेजन लिंक: AMAZON.IN

                                    Kase kahu



32 comments:

  1. विश्वमोहन जी, नमस्कार ! सबसे पहले आपको,आपके काव्य संग्रह के लोकार्पण की बहुत बहुत बधाई । मैंने लोकार्पण का वीडियो देखा ।बहुत ही प्रभावी है, आपकी पुस्तक की कविताओं की तारीफ़ से लग रहा है कि जल्द से जल्द ये कवितायें पढ़ने को मिले और हम प्रेरित हो सकें । बहुत सी शुभकामनाओं के साथ ..जिज्ञासा सिंह..।

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    1. जी, बहुत आभार। आपकी कविताओं से मैं काफी प्रभावित हूँ। माँ सरस्वती की कृपा बनी रहे और आप लिखती रहें।

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  2. बधाई एवं शुभकामनाएं ।
    सादर।

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" (1987...अब आनेवाले कल की सोचो...) पर गुरुवार 24 दिसंबर 2020 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!




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  4. सदैव सबका साथ बना रहे
    सस्नेहाशीष संग असीम शुभकामनाएँ

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    1. जी, भाव-सिक्त आभार आपके अनुपम स्नेहाशीष का!

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  5. पुस्तक प्रकाशन,विमोचन,वरिष्ठ पूजनीय आदरणीय गुरूजन का स्नेहाशीष,स्थापित साहित्यकारों का विमर्श अपने प्रशंसकों को उपलब्ध कराने के लिए अत्यंत आभार आपका।
    बहुत बहुत बधाई और प्रेरक साहित्यिक यात्रा के लिए शुभकामनाएं मेरी भी स्वीकार करें।
    सादर।

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    1. जी, भाव-सिक्त आभार आपके अनुपम स्नेहाशीष का!

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  6. विहंगम उत्सव पुस्तक विमोचन का। सुधिजनों का रचनाओं पर गहन विमर्श!!अत्यंत सरस, रोचक और शालीन चिंतन जिसे सुनकर बहुत अच्छा लगा। वक्ताओं की सरल,सहज स्नेहिल समीक्षायें और काव्य पाठ मन मोह गए। प्रबुद्ध रचनाकारों को प्रत्यक्ष देख कर मन मुदित हो गया। विभा दीदी के सराहनीय कुशल संचालन के लिए लेख्य मंजूषा परिवार बधाई का पात्र है।
    सभी प्रखर समीक्षकों के बीच आदरणीया
    पूनम मोहन जी ने निष्पक्ष समीक्षक के
    रूप में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करवाई है और वे मंच पर छा गई। उन्हें इस अवसर विशेष पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
    'कासे कहूँ' शीर्षक मन में उत्सुकता जगाता और कहीं न कहीं उद्वेलित करता है। ब्लॉग की चुनिंदा रचनाओं का पुस्तक रूप में संग्रहित होना साहित्य संसार के लिए अनमोल थाती है और काव्य रसिकों के लिए सुंदर उपहार है। पुस्तक पाठकों के बीच लोकप्रियता के नये कीर्तिमान स्थापित करे, यही दुआ और कामना है।मेरी ओर से हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आदरणीय विश्वमोहन जी🙏🙏

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    1. लोकार्पण कार्यक्रम की सांगोपांग समीक्षा और आपके सुंदर भावपूर्ण शब्दों का हार्दिक आभार। आपके ये प्रेरक शब्द सृजनात्मक संस्कार को पुष्ट करने में सहायक साबित होंगे।

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  7. हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 🙏🌹🙏

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  8. हार्दिक बधाई इस सुंदर उपलब्धि हेतु

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  9. काव्य संग्रह के लोकार्पण की बहुत बहुत बधाई ।

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  10. आपको ढेरों बधाई और शुभकामनाएं। सादर।

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  11. बहुत बहुत बधाई आपको, मां सरस्वती आप पर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखें

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    1. जी, बहुत आभार आपके आशीर्वचनों का!!!

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  12. डा. रश्म‍िठाकुर जी की सुमधुर आवाज़ में कासे कहूं सुनना एक नया अनुभव ....वाह व‍िश्वमोहन जी ...बहुत खूब आयोजन ...पूूरे लेख्य मंजूषा परिवार को हार्द‍िक शुभकामनायें

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    1. जी, निश्चय ही उनकी सुमधुर वाणी ने इस विरह गीत को प्राणवंत बना दिया है। अत्यंत आभार!!!

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  13. हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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    1. जी, अत्यंत आभार आपका!!!

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