जुलमी फागुन! पिया न आयो!
बाउर बयार, बहक बौराकर
तन मन मोर लपटायो.
शिथिल शबद, भये भाव मवन
सजन नयन घन छायो.
मदन बदन में अगन लगाये
सनन सनन सिहरायो
कंचुकी सुखत नहीं सजनी
उर, मकरंद बरसायो .
बैरन सखियन, फगुआ गाये
बिरहन मन झुलसायो.
धधक धधक, जर जियरा धनके
अंग रंग सनकायो.
जुलमी फागुन! पिया न आयो!
जुलमी फागुन! पिया न आयो!
टीस परेम-पीर, चिर चीर
चित चोर चितवन सहरायो
झनक झनक पायल की खनक
सौतन, सुर ताल सजायो
चाँद गगन मगन यौवन में
पीव धवल बरसायो
चतुर चकोरी चंदा चाके
प्रीत अमावस, छायो
कसक-कसक मसक गयी अंगिया
बे हया, हिया हकलायो
अंग अनंग, मारे पिचकारी
पोर पोर भींज जायो
जुलमी फागुन! पिया न आयो!
जुलमी फागुन! पिया न आयो!
बलम नादान, परदेस नोकरिया
तन सौ-तन, रंगायो
सरम,धरम, मरम, नैनन नम
मन मोर, पिया जग जायो.
कोयली कुहके,पपीहा पिहुके
पल पल अँखियाँ फरके
चिहुँक-चिहुँक मन दुअरा ताके
पिया, न पाती कछु पायो
बरसाने मुरझाई राधा
कान्हा, गोपी-कुटिल फंसायो
मोर पिया निरदोस हयो जी
फगुआ मन भरमायो
NITU THAKUR: बहुत सुंदर
ReplyDeleteVishwa Mohan: +Nitu Thakur हार्दिक आभार!!!
Indira Gupta: जुल्मी फागुन पिया न आये
ReplyDeleteगोरी हिय मसि मसि डोले
बैरन फागुन चंग बजावे
विरहन मन पजरो डोले ।
Vishwa Mohan: +Indira Gupta वाह! वाह! क्या कहने !! हार्दिक आभार!!!
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ReplyDeleteAnupama Rakshit
+1
Bht sndr panktiyan hn..sahi h aise fagun me agar piya paas n ho to nayano me asru to aaenge hi
49w
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Indira Gupta
+1
अद्भुत अवर्णीय फागुन विरह काव्य
विरहणी के हर भाव का सचित्र सा वर्णन
👌👌👌👌👌👌👌👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏🎼🎵
हर पंक्ति हिय भेद रही
हर लफ्ज तड़प जगाये
फागुन मास कंत नही संग मैं
गोरी कुरजा सी कुरणाय।
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49w
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Renu
कोयली कुहके,पपीहा पिहुके
पल पल अँखियाँ फरके
चिहुँक-चिहुँक मन दुअरा ताके
पिया, न पाती कछु पायो------
विद्वतापूर्ण ,बेजोड़ और मर्मस्पर्शी सृजन !!!!
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पंकज भूषण पाठक प्रियम
+1
विरह वर्णन बहुत खूब
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Puja Puja
+1
प्रबल विरह वेदना को व्यक्त करती पंक्तियाँ
बेहद उम्दा ..वाह वाह
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Vishwa Mohan
+Puja Puja हार्दिक आभार!!!
49w
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Vishwa Mohan
+Anupama Rakshit हार्दिक आभार!!!
49w
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Vishwa Mohan
+Indira Gupta वाह! आपकी मनभावन शैली!
49w
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Vishwa Mohan
+1
+Renu ये पंक्तियाँ मुझे भी बहुत प्रिय हैं! हार्दिक आभार आपका!!!!!!
49w
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Vishwa Mohan
+पंकज भूषण पाठक हार्दिक आभार!!!
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ReplyDeleteIndira Gupta
Moderator
+1
अप्रतिम अप्रतिम ...विश्व मोहन जी आपकी काव्य शैली और शब्दो का चयन ....लाज़वाब
👏👏👏👏👏👏👏
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51w
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Vishwa Mohan
आभार!!!
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NITU THAKUR
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+1
बहुत खूबसूरत रचना
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51w
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Vishwa Mohan
+Nitu Thakur हार्दिक आभार!!!
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 21 मार्च 2019 को प्रकाशनार्थ 1343 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
बहुत ही सुन्दर आदरणीय ��
ReplyDeleteहोली की शुभकामनायें
सादर
जी, अत्यंत आभार आपका।
Deleteसुन्दर। शुभकामनाएं होली पर।
ReplyDeleteआपके आशीष का आभार और होली की शुभकामनाएं।
Deleteवाह और फिर वाह !
ReplyDeleteनिरदोस तो न बिरहिन का पिया है और न ही यह मधुर गीत लिखने वाला चितचोर विश्वमोहन !
आपके अनुपम आशीष का अत्यंत आभार।
Deleteवाह बहुत सुन्दर विरह में शृंगार का अद्भुत संयोग।
ReplyDeleteजी, आपके आशीष का आभार।
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब.....
अद्भुत शब्दविन्यास एवं विभिन्न अलंकारों से अलंकृत बेहतरीन रचना...।
जी, आपके आशीष का आभार।
Deleteवाह बहुत सुंदर आदरणीय सर
ReplyDeleteहोली की हार्दिक बधाई
जी, अत्यंत आभार।
Deleteटीस परेम-पीर, चिर चीर
ReplyDeleteचित चोर चितवन सहरायो
झनक झनक पायल की खनक
सौतन, सुर ताल सजायो!!!!
मनभावन लोकरंग से सजी रचना | हार्दिक शुभकामनायें |
जी, अत्यंत आभार।
ReplyDeleteपांच लिंक परिवार को होली की बधाई और आभार।
ReplyDeleteअविस्मरणीय रचना!!नारी मन की अव्यक्त व्यथा कथा और अंतस का अनकहा प्रलाप। पीड़ा के बीच ----मोर पिया निरदोस हयो जी ----के साथ बतरसिया निर्मोही साजन के प्रति अखंड प्रेम और विश्वास का उद्घोष। 👌होली के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनायें और बधाई 🙏🙏💐💐💐💐
ReplyDeleteआभार आपके स्नेहाशीष का।
Deleteवाह!!अद्भुत ! आपकी लेखन शैली हमेशा लाजवाब !
ReplyDeleteआभार आपके स्नेहाशीष का।
Deleteबैरन सखियन, फगुआ गाये
Deleteबिरहन मन झुलसायो.
धधक धधक, जर जियरा धनके
अंग रंग सनकायो.
🙏🙏🙏🙏
जी, अत्यंत आभार!!
Deleteबैरन सखियन, फगुआ गाये
ReplyDeleteबिरहन मन झुलसायो.
धधक धधक, जर जियरा धनके
अंग रंग सनकायो.
🙏🙏🙏🙏🙏
जी, बहुत आभार!!!
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