Thursday 7 June 2018

कासे कहूँ, हिया की बात!


 


बिरहन बिलखे, बेरी-बेरी,
बिखन, चिर संताप।
बुझी बाती आस की,
आँखिन अँधियारी छात।

कासे कहूँ, हिया की बात !


पलक अपलकउलझे अलक,
दहक-दहक, दिन-रात।
सबद नीर, नयन बह निकले, 
भये तरल, दोउ गात।



कासे कहूँ, हिया की बात !


पसीजे नहीं, पिया परदेसिया,
ना चिठिया, कोउ बात।
जोहत बाट, बैरन भई निंदिया,
रैन लगाये घात।

कासे कहूँ हिया की बात !

भोर-भिनसारे, कउआ उचरे,
छने-छने,  मन भरमात।
जेठ दुपहरिया, आग लगाये,
चित चंचल, अचकात।

कासे कहूँ, हिया की बात !

गोतिया-गोतनी, गाभी मारे,
जियरा,  जरी-जरी जात।
अंगिया ओद, भये अँसुअन  से,
अँचरा में बरसात।

कासे कहूँ, हिया की बात !

धड़के छतियाफड़के अँखियाँ,
एने-ओने, मन बउआत।
सिसके सेनुर, कलपे कंगना,
बहके, अहक अहिवात,

कासे कहूँ, हिया की बात !

चटक-चुनरिया, सजी-धजी मैं,
सुधि बिसरे,  दिन-रात।
सिंहा-सिंगरा, गूँजे गगन में,
अब लायें, बलम बरिआत !

कासे कहूँ, हिया की बात !




(बेरी-बेरी = बार बार बिखन = भीषण,  हिया = ह्रदय अलक = बाल गात = गाल       रैन = रात अचकात = अचंभित होना गोतिया = कुल-परिवार के सदस्य गोतनी = देवरानी-जेठानी गाभी मारे = ताने कसे ओद = गीला सेनुर = सिंदूर एने-ओने = इधर उधर,  बउआत = भटकता अहक =मन की तीव्र कामना अहिवात = सुहागन,  सिंहा = उत्तर भारत का फूंक कर बजाया जाने वाला एक वाद्य यंत्र सिंगरा = असम में भैंस के सिंग का बना वाद्य यंत्र जो बिहू के श्रृंगारिक नृत्य में फूंक कर बजाया जाता है.)