Monday 27 July 2015

सृजन

काल प्रवाह में स्वाहा
कतिपय शब्दों के बोल

स्थान-निरपेक्ष , कालातीत
गढ़ लेते हैं गूढ़ अर्थ
शाश्वत , अनमोल
आत्मा को झकझोरते
वे कालजयी वाक्य

छूते हैं मन को

करते

 चेतना का स्फुरण
सत्य के आलोक में
नवजीवन का प्रस्फुटन
यहीं है सृजन !
                                  

                                    ’मैं तो ठहर गया
भला तू कब ठहरेगा’

इस वाक्य की चोट
भला लुटेरे का मर्म सहेगा? 
गौतम की वाणी ने मचाया
अंगुलिमाल के भीतर हाहाकार

चौंधियाये चक्षु बौद्ध तेज से
मचला भीतर करुणा का पारावार

पखारे पांव, निकली आह!
बोधिसत्व ने दिया पनाह

 चेतना का स्फुरण
सत्य के आलोक में
नवजीवन का प्रस्फुटन
यहीं है सृजन !





संत बाबा भारती की लाचारी
ठगने को उद्धत डाकू छलनाचारी

बोले संत, खड्ग सिंह सुन
घटना यह औरों से न गुन

अभी तो बना सिर्फ मैं बेचारा
पर न बने दीन दुखिया बेसहारा

बाबा की बात का घात
डाकू न सह पाया
घोड़ा छोड़ अस्तबल में आया

 चेतना का स्फुरण
सत्य के आलोक में
नवजीवन का प्रस्फुटन
यही है सृजन !


                       
अब लाठी टेकती बुढ़िया लाचार
लगी प्रपंची पंच से करने विचार

हकलायी गिड़गिड़ायी – बोलो
मन की गाँठ खोलोगे?

बेटा! क्या बिगाड़ के डर से
ईमान की बात नहीं बोलोगे

बहे आँखों से आँसू
धुला मैल मन का
हुआ उँचा न्याय का आसन

चेतना का स्फुरण
सत्य के आलोक में
नवजीवन का प्रस्फुटन
                                    यहीं है सृजन !

सृजन! सृजन!! सृजन!!! 

3 comments:

  1. NITU THAKUR's profile photo
    NITU THAKUR
    +1
    आप की रचना बहुत अच्छी है,सूंदर भाव .. वाह
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    Oct 16, 2017
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    +1
    +Nitu Thakur सादर आभार!!!
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    Oct 16, 2017
    Indira Gupta's profile photo
    Indira Gupta
    +1
    सृजन सदैव सुँदर सजे
    सृजन देय नव एहसास
    नव सृजन से ही रचे
    धरती नव आकाश !
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    Oct 16, 2017
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    सादर आभार!!!


    Oct 16, 2017
    Puja Puja's profile photo
    Puja Puja
    +1
    सुंदर और सृजन शील रचना....
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    Oct 16, 2017
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    +1
    +Puja Puja सादर आभार!!!
    Oct 16, 2017
    Kusum Kothari's profile photo
    Kusum Kothari
    Moderator
    छोटे पर सार्थक शब्दों ने कैसे जीवन बदल दिये क्योंकि कथनी करनी एकसार थी वो केवल उपदेश नही।
    लाजवाब बेहतरीन किमती।
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    Oct 17, 2017
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    आभार!

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  2. कभी- कभी किसी व्यथित अथवा पीड़ित व्यक्ति के ह्रदय से उमड़े चन्द उदगार किसी का समस्त जीवन सार्थकता की राह पर मोड़ देते हैं |

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