प्लेटलेट्स की पतवार फंसी 'डेंगी' में।
उलझती अटकती साँसे,
फकफकाहट।
'अविनाश' मासूमियत,
मद्धिम सी आँखों में झूलता
बेबस बाप की अकबकाहट!
आरोग्य चौखट से दुत्कारी गयी
लाचार माँ ,नम नयन,
कातर कोख
हदस ! थरथराहट !!
उलझती अटकती साँसे,
फकफकाहट।
'अविनाश' मासूमियत,
मद्धिम सी आँखों में झूलता
बेबस बाप की अकबकाहट!
आरोग्य चौखट से दुत्कारी गयी
लाचार माँ ,नम नयन,
कातर कोख
हदस ! थरथराहट !!
सिकुड़े 'आकाश' से
क्षुद्र 'मैक्स' तक
मज़दूरों के पसीने और
'खैराती टैक्स' पर
एम्बुलेंस की आपाधापी।
पर, निरीह की ज़िंदगी
जोड़ने को कुछ पल,
'उजली कोट' ओढ़े
कोई भी 'काली रूह'
नहीं काँपी!
क्षुद्र 'मैक्स' तक
मज़दूरों के पसीने और
'खैराती टैक्स' पर
एम्बुलेंस की आपाधापी।
पर, निरीह की ज़िंदगी
जोड़ने को कुछ पल,
'उजली कोट' ओढ़े
कोई भी 'काली रूह'
नहीं काँपी!
सिक्को के खनकते
बटखरे में,इंसानी जिंदगी,
तौलते सुश्रुत-सूत।
धन्वन्तरी के धनिक अनुयायी।
चिकित्सा की दुकान
पर बैठे व्यवसायी।
कुत्सित-चित्त
धिक्-धिक् ,पतित।
संवेदनहीन,कुविचारी,
श्वेताम्बर शिक्षाधारी।
बटखरे में,इंसानी जिंदगी,
तौलते सुश्रुत-सूत।
धन्वन्तरी के धनिक अनुयायी।
चिकित्सा की दुकान
पर बैठे व्यवसायी।
कुत्सित-चित्त
धिक्-धिक् ,पतित।
संवेदनहीन,कुविचारी,
श्वेताम्बर शिक्षाधारी।
तुमसे श्वेत तो वो ' एडिस'
काल-दंश-धारी!
चाहे हो राजा या रंक
बिना भेद के मारता डंक।
जिससे भी सटता,
मुखशुद्धि करता
सबमें जहर भरता।
बाकी जिम्मा तेरी
'कजरी' आत्मा का,
कोई जीता, कोई मरता।
काल-दंश-धारी!
चाहे हो राजा या रंक
बिना भेद के मारता डंक।
जिससे भी सटता,
मुखशुद्धि करता
सबमें जहर भरता।
बाकी जिम्मा तेरी
'कजरी' आत्मा का,
कोई जीता, कोई मरता।