Monday, 18 April 2016

बेटी-बिदा

बेटी विदा, विरह वेला में
मूक पिता ! क्या बोले?
लोचन लोर , हिया हर्षित
आशीष की गठरी खोले.

अंजन-रंजित,कलपे कपोल
कंगना,बिन्दी और गहना,
रोये सुबके सखी सलेहर्
बहे बिरह में बहना.

थमा पवन, सहमा सुरज!
हर अँखियन बदरी छायी,
पपीहा पी के पीव पली ,
कुहकी कोयल करियायी.

शक्ति शिव के संग चली
मुरछित माहुर् मन मैना,
सुबके सलज सजल सुकुमारी
ममता मातु नीर नयना.

सत्य-संजीवन चिर चिरंतन
वेदांत उपनिषद गाते,
भयी आत्मा बरहम की
अब छूटे रिश्ते-नाते ! 

5 comments:

  1. NITU THAKUR's profile photo
    NITU THAKUR
    Owner
    +1
    very nice
    Nov 15, 2017
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    +1
    +Nitu Thakur आभार एवं शुक्रिया!!!
    Nov 15, 2017
    Kusum Kothari's profile photo
    Kusum Kothari
    Moderator
    +1
    थमी पवन सहमा सूरज....
    अतिसुन्दर।
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    Nov 16, 2017
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    +Kusum Kothari आभार एवं शुक्रिया!!!

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  2. annu ann (अनु): Nice
    Vishwa Mohan: +annu ann laguri आभार एवं शुक्रिया!!!

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  3. संवेदनशील बेला पर मार्मिक रचना..
    पर अब नव विहान है रिश्तें छूटते नहीं एक कदम और बढ़ बेटियाँ खड़ी रहती है।

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  4. जी, सही कहा आपने। अत्यंत आभार।

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  5. Meena Gulyani
    +1
    ati sunder rachna
    Vishwa Mohan
    +Meena Gulyani आभार!

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