बेटी विदा, विरह वेला में
मूक पिता ! क्या बोले?
लोचन लोर , हिया हर्षित
आशीष की गठरी खोले.
अंजन-रंजित,कलपे कपोल
कंगना,बिन्दी और गहना,
रोये सुबके सखी सलेहर्
बहे बिरह में बहना.
थमा पवन, सहमा सुरज!
हर अँखियन बदरी छायी,
पपीहा पी के पीव पली ,
कुहकी कोयल करियायी.
शक्ति शिव के संग चली
मुरछित माहुर् मन मैना,
सुबके सलज सजल सुकुमारी
ममता मातु नीर नयना.
सत्य-संजीवन चिर चिरंतन
वेदांत उपनिषद गाते,
भयी आत्मा बरहम की
अब छूटे रिश्ते-नाते !
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ReplyDeleteNITU THAKUR
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+1
very nice
Nov 15, 2017
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Vishwa Mohan
+1
+Nitu Thakur आभार एवं शुक्रिया!!!
Nov 15, 2017
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Kusum Kothari
Moderator
+1
थमी पवन सहमा सूरज....
अतिसुन्दर।
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Nov 16, 2017
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Vishwa Mohan
+Kusum Kothari आभार एवं शुक्रिया!!!
annu ann (अनु): Nice
ReplyDeleteVishwa Mohan: +annu ann laguri आभार एवं शुक्रिया!!!
संवेदनशील बेला पर मार्मिक रचना..
ReplyDeleteपर अब नव विहान है रिश्तें छूटते नहीं एक कदम और बढ़ बेटियाँ खड़ी रहती है।
जी, सही कहा आपने। अत्यंत आभार।
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ReplyDeleteMeena Gulyani
+1
ati sunder rachna
Vishwa Mohan
+Meena Gulyani आभार!