सर्कस है सियासत का
कूदते किरदार,
रस्सी राजनीति की!
कोई कुदाता,
सिर्फ कुदाता!
रंगमंच के किनारों से,
बाकी सब कूदते।
कोई कूद के अंदर भी
ले अपनी अलग रस्सी
नाचता और कूद लेता
फिर धीरे से खसक जाता
कूद के बाहर!
अपनी अलग कूद लेकर।
भैया हम तो जनता हैं!
लोकतंत्र के मायालोक में।
जहाँ रंगमंच का 'कूद-शो'
ख़तम होते ही,
अगले पाँच साल तक ।
कूदते रहते हैं
अथक, अनवरत, तबतक
सज नहीं जाता
फिर जबतक।
रंगमंच का ईस्टमैन कलर
बज नहीं जाता।
चुनाव का डंका,
ता ता थैया
थैया ता ता!
कूदते किरदार,
रस्सी राजनीति की!
कोई कुदाता,
सिर्फ कुदाता!
रंगमंच के किनारों से,
बाकी सब कूदते।
कोई कूद के अंदर भी
ले अपनी अलग रस्सी
नाचता और कूद लेता
फिर धीरे से खसक जाता
कूद के बाहर!
अपनी अलग कूद लेकर।
भैया हम तो जनता हैं!
लोकतंत्र के मायालोक में।
जहाँ रंगमंच का 'कूद-शो'
ख़तम होते ही,
अगले पाँच साल तक ।
कूदते रहते हैं
अथक, अनवरत, तबतक
सज नहीं जाता
फिर जबतक।
रंगमंच का ईस्टमैन कलर
बज नहीं जाता।
चुनाव का डंका,
ता ता थैया
थैया ता ता!
Kusum Kothari: वाह व्यंग!!
ReplyDeleteसियासत का खेल है भईया नाचे सब कोई ताता थैया।
Vishwa Mohan: +Kusum Kothari
आभार!