Sunday, 14 May 2017

माँ मेरा उद्धार करो!

वसुधा के आंगन में गुंजी किलकारी,
पय पान सुधा संजीवन दात्री महतारी।
साँसों मे घोली माँ ने वत्सल धारा,
मैं प्राणवंत पुलकित नयनो का तारा।

सब अर्पण तर्पण किये तूने न्यौछावर,
जननी जीव जगत जंगम चेतन स्थावर।
शीश समर्पण माँ तेरे अंको को,
सह न पाये विश्व विषधर डंकों को।

मञ्जूषा ममता की, माँ, अमृत छाया,
निमिष निमिष नित प्राण रक्त माँ पाया।
क्रोड़ करुणा कर कण कण जीवन सिंचित,
दृग कोशों से न ओझल हो तू किंचित।

पथ जीवन माँ, मैं पगु अनथक, तेरी शीतल छाया,
पा लूँ मरम मैं भेद सत्य का , जीव, ब्रह्म और माया।
अब जननी गोदी में तेरे, प्यार करो, मनुहार करो,
मैं शरणागत, कुक्षी में तेरी, माँ मेरा उद्धार करो।

1 comment:

  1. अमित जैन 'मौलिक''s profile photo
    अमित जैन 'मौलिक'
    Owner
    शीश समर्पण माँ तेरे अंको को,
    सह न पाये विश्व विषधर डंकों को।

    सदा की तरह एक और रचनात्मक शाहकार कविवर। माँ भगवती अपना वरद हस्त आपकी लेखनी और आप पर बनाये रखें। शुभ रात्रि
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    Sep 22, 2017
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    +1
    बहुत बहुत आभार आपके आशीर्वचनों का, अमितजी।

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