Thursday, 1 June 2017

अदृश्य दोलन

           (१)
काल प्रवाह नही यह दृश्य चित्रपट,
अदृश्य दोलन है, समय के साथ।
(यदि हो समय  का
कोई अस्तित्व तो!)
विराट ब्रह्मांड , बिंदुवत कण
और स्थूल तत्व , सूक्ष्म मन।

               (२)
आकाशगंगा , सौरमंडल,
निर्वस्त्र तिमिर ,
अजस्त्र प्रभामंडल।
खगोल से भूगोल
और अनुभूत सत्य से
रहस्यमय ब्लैकहोल तक।

        (३)
प्रसार, संकुचन
सरल, आवर्त, दोलन!
अपनी गति, अपना काल।
अपना दोलन विस्तार।
अपनी कला दुहराता
अनवरत , बार  बार।

          (४)
उदय से प्रलय और
क्षय से विलय तक
डोलता सृष्टि संसार।
बाहर और अंदर
लहरों की लय पर
स्पंदित समंदर समाहार!

               (५)
प्रशांत पुरुष की खूंटी से लटकी,
गोलक प्रकृति! दोलन में भटकी।
सारा व्यापार, मिलाने को साम,
आवृति की, आत्मा का।
गुनगुनाने को अनहद अनुनाद,
महसूसते परम का अनंत आह्लाद!

No comments:

Post a Comment