भींगी रात यादों की।
सूखा रही अब धूप, विरह की ।
निगोड़ी रात अलमस्त!
सुखी! न सूखी।
उल्टे, भींगती रही धूप।
खुद ! रात भर।
ढूंढता रहा आशियाना सूरज।
धुंध में चांदनी की ।
और अकड़ गया है चांद, एहसासों का।
आसमान मे, होकर और टहकार
टहकार - गहरा चमकीला रंग।