Monday, 19 November 2018

टहकार!

भींगी रात यादों की। 
सूखा रही अब धूप, विरह की ।  
निगोड़ी रात अलमस्त! 
सुखी! न सूखी।  
उल्टे, भींगती रही धूप। 
खुद ! रात भर। 
ढूंढता रहा आशियाना सूरज।
 धुंध में चांदनी की । 
और अकड़ गया है चांद, एहसासों का। 
आसमान मे, होकर और टहकार


टहकार - गहरा चमकीला रंग।

1 comment:

  1. Meena Gulyani's profile photo
    Meena Gulyani
    +1
    beautiful post
    11w
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    +Meena Gulyani अत्यंत आभार!!!!
    11w
    Meena Gulyani's profile photo
    Meena Gulyani
    +1
    welcome ji
    11w

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