नयन नील अम्बर पनघट सा
श्याम हीन कालिंदी तट सा .
पथ अनंत आशा अनुराग का
पलक पुलक पल प्रेम पराग का.
पथ अनंत आशा अनुराग का
पलक पुलक पल प्रेम पराग का.
"ऊपर
से हो नारिकेल सा
अंतस नवनीत सा बहता है.
प्रीत पंथ का अथक पथिक
गुह्यात गुह्यतम गहता है"..
अंतस नवनीत सा बहता है.
प्रीत पंथ का अथक पथिक
गुह्यात गुह्यतम गहता है"..
है ऐसी कौन बात प्रिये
जो मन विचलित कर जाती है।
वो टीस वेदना की कैसी
जो मन मे नित भर जाती है।
जो मन विचलित कर जाती है।
वो टीस वेदना की कैसी
जो मन मे नित भर जाती है।
अनायास ये दर्द कैसा ?
कर जाता जो पलको को नम !
करूँ श्रृंगार खुशियों से तेरा
पीकर मैं सारा वो गम।
अपने अधरों को मीठा कर ले
ले सारे मुस्कान मेरे।
अब कर ले आतुर जगने को
खोये उमड़े गीत तेरे।
स्पंदन उर का तेरा,
सपनों का चतुर चितेरा ।
छुप छुपकर छवि तुम्हारी,
हृदय में हमने उकेरा।
सपनों का चतुर चितेरा ।
छुप छुपकर छवि तुम्हारी,
हृदय में हमने उकेरा।
स्वपन सजन बन नयनो के ,
चिलमन में आ जाना ।
प्रीत की पाती की बतियों पे ,
सहमी क्यों, मुसका ना !
चिलमन में आ जाना ।
प्रीत की पाती की बतियों पे ,
सहमी क्यों, मुसका ना !