मीन महल से निकले सूरज,
किया मेष प्रवेश।
आग उगलने लगी किरणें,
हुआ गृष्मोन्मेष!
कतर मिर्च हरी प्याज संग,
सत्तू अमिया की चटनी।
ऊपर रवि आगी में धनके,
नीचे रबी की कटनी।
गंगा जल में डुबकी मारे,
साधक, ज्ञानी, दानी।
खरमास खतम, वैशाखी बिहू,
पुथांडू, सतुआनी।
ज़िन्दगी की कथा बांचते बाँचते, फिर! सो जाता हूँ। अकेले। भटकने को योनि दर योनि, अकेले। एकांत की तलाश में!
किया मेष प्रवेश।
आग उगलने लगी किरणें,
हुआ गृष्मोन्मेष!
कतर मिर्च हरी प्याज संग,
सत्तू अमिया की चटनी।
ऊपर रवि आगी में धनके,
नीचे रबी की कटनी।
गंगा जल में डुबकी मारे,
साधक, ज्ञानी, दानी।
खरमास खतम, वैशाखी बिहू,
पुथांडू, सतुआनी।