वाह!!! बहुत ही लाजवाब अप्रतिम सृजन ज्योतिषी से लेकर जमीन से जुड़ी किसानी हो या धर्म से जुड़े कर्मकाण्ड... परम्परागत झलक समेटे... सराहना से परे बहुत ही लाजवाब।
संस्कार और संस्कृति को समेटे भावपूर्ण अभिव्यक्ति आदरनीय विश्वमोहन जी।एक ही पर्व के अलग-अलग स्थानो पर नाम भले भिन्न हो पर इनमें निहित लोक संस्कार एक ही है।हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई स्वीकार करें 🙏🙏
अभी अभी गूगलेश्वर महाराज से पुथांडु और सतुआन का अर्थ पूछकर आ रही हूँ। नए नए शब्द और नई जानकारी देने के लिए सादर आभार । बैसाखी, बिहू तो पता ही थे। अमिया की चटनी अनजाने में ही बन गई थी मुझसे सतुआन के दिन।
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार १५ अप्रैल २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
जी, बहुत आभार आपका।
Deleteवाह। शुभकामनाएं।
ReplyDeleteजी, बहुत आभार आपका।
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(१५-०४ -२०२२ ) को
'तुम्हें छू कर, गीतों का अंकुर फिर उगाना है'(चर्चा अंक -४४०१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
गांव की याद आ गई, हमेशा की तरह लाजबाव, सादर नमस्कार 🙏
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार!!!
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब अप्रतिम सृजन
ज्योतिषी से लेकर जमीन से जुड़ी किसानी हो या धर्म से जुड़े कर्मकाण्ड... परम्परागत झलक समेटे...
सराहना से परे बहुत ही लाजवाब।
संस्कार और संस्कृति को समेटे भावपूर्ण अभिव्यक्ति आदरनीय विश्वमोहन जी।एक ही पर्व के अलग-अलग स्थानो पर नाम भले भिन्न हो पर इनमें निहित लोक संस्कार एक ही है।हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई स्वीकार करें 🙏🙏
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ReplyDeleteजी, भारत में मूलत: सारे त्योहारों का संबंध फसल और कृषि से ही है।
Deleteबहुत सुन्दर सृजन
ReplyDeleteफिर जिंदा हो गया गांव
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
जी, बहुत आभार आपका!!!
Deleteइस पर्व के विषय में नहीं पता था । आभार इस जानकारी के लिए ।
ReplyDeleteपर्व की शुभकामनाएँ
अभी अभी गूगलेश्वर महाराज से पुथांडु और सतुआन का अर्थ पूछकर आ रही हूँ। नए नए शब्द और नई जानकारी देने के लिए सादर आभार । बैसाखी, बिहू तो पता ही थे। अमिया की चटनी अनजाने में ही बन गई थी मुझसे सतुआन के दिन।
ReplyDelete😄जी, बहुत आभार आपका!
Deleteबहुत बहुत सुन्दर |
ReplyDeleteजी बहुत आभार आपका!!!
Deleteबहुत ही सार्थक सृजन ।
ReplyDeleteमैने बचपन में तो देखा ही है, मेरे यहां इस बार कई लोगों ने ये त्योहार मनाया और कुछ ऐसे ही फोटो डालकर लालच दिलवाया।
जी, अत्यंत आभार।
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