Sunday, 3 April 2022

कर प्यार गोरिया


सरेह हरिहर बा, देखअ  पतवार गोरिया
पाछे पोखरा में मछरी गुलजार गोरिया।

पावस मनवा ओदाइल, फुहार गोरिया।
कर ल अँखियाँ हमरा संग, तू चार गोरिया।

देखअ  खेतवा में बदरा बा ठार गोरिया।
मनवा मारे इ गजबे के धार गोरिया।

छोड़अ  नखड़ा, ना रुसअ, न रार गोरिया।
हम गइनी  इ हियवा अब हार गोरिया।

देखअ  मिलिंदवा के मिलल, मकरंद गोरिया।
आव बहिंयाँ, तू अँखियाँ कर ल बंद गोरिया।

ई बा माटी के देहिया, निस्सार गोरिया।
चरदिनवा के चाँदनी,  कर  ल प्यार गोरिया।


शब्दार्थ :
सरेह - गाँव के बाहर खेत-पथार  वाली खुली जगह 
पतवार - पत्ते । पाछे - पीछे । पावस - बरसात। ओदाइल - भीगा हुआ।
बदरा - बादल। ठार - खड़ा ।रूसना  - रूठना । रार -तकरार । हियवा- दिल।
मिलिंद -भौंरा । मकरंद - पराग।देहिया - देह। चरदिनवा के चाँदनी - चार दिन की चाँदनी।

30 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार 04 अप्रैल 2022 ) को 'यही कमीं रही मुझ में' (चर्चा अंक 4390 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर सोमवार 04 अप्रैल 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  3. अभिराम चित्र युक्त लोक रंग से सराबोर सुन्दर और भावपूर्ण प्रीत राग मन को छू गया आदरणीय विश्वमोहन जी।सरल और सहज अभिव्यक्ति में में प्रेम की मधुर मनुहार है।बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं इस प्रेम गीत के लिए।आप दोनों का साथ और प्यार अटल रहे यही दुआ है 🙏🙏

    ----*----*---

    तू ही पिया का जीवन आधार गोरिया!
    सुन!सजन की मीठी मनुहार गोरिया !
    लगे नयन तुम्हारी ही ओर गोरिया ,
    तू है चंदा सजन है चकोर गोरिया,
    जहाज के पंछी-सा मुड़-मुड़ आवे
    कहाँ दिल को और कोई ठौर गोरिया!
    है तुझी पे सब अधिकार गोरिया
    जीवन नैया की तू पतवार गोरिया!!

    🙏🙏


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    1. इस अद्भुत काव्यात्मक टिप्पणी का आभार!!!

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  4. देख खेतवा में बदरा बा ठार गोरिया।
    अप्रतिम..
    सादर..

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  5. आँखें चार करने की अभी भी ख्वाहिश हो तो समझो प्रेम ज़िन्दा है ।
    ग्रामीण अञ्चल का स्वाद आ गया । चित्र बहुत सुंदर है ।।

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  6. बहुत बहुत सुन्दर मधुर रचना

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  7. ई बा माटी के देहिया निस्सार गोरिया।
    चरदिनवा के चांदनी कर ल प्यार गोरिया।
    सच चार दिन की चांदनी है तो प्यार से दूर क्यों रहे
    बहुत सुन्दर

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  8. शब्द शब्द उलीचे माधुर्य रस के धार गोरिया
    नेह,गठबंधन में मन मगन बाटे सरोबार गोरिया..
    सुंदर छवि संग अप्रतिम रचना।
    बधाई

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    1. जी,अत्यंत आभार आपकी काव्यात्मक टिप्पणी का।

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  9. वाह!लाज़वाब 👌
    हर बंद गज़ब।
    सादर

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  10. सुंदर श्रृंगार गीत।

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  11. केतना सुंदर बा ताल कछार गोरिया ।
    देखा होत धरा क सिंगार गोरिया।।
    ओढ़े धानी चुनर लगे दुल्हन सजी,
    अउर पुरवा के चल ली बयार गोरिया ।।
    तनी रुकि के चला मोरी बारी धना,
    एक फोटू क बा मनुहार गोरिया ।।

    बहुत सुंदर दृश्य, उच्चकोटि का मनभावन लोकगीत ।
    आप दोनों को हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐

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    1. वाह!अत्यंत सुहावन और मनभावन काव्यात्मक टिप्पणी का हार्दिक आभार!!!

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  12. बहुत सुंदर

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  13. बहुत ही मनोरम दृश्य एवं खूबसूरत तस्वीर संग गोरिया संग सम्बोधन में लाजवाब गीत...
    वाह!!!!

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  14. वाह ! मूड और मौसम दोनों छ्लक पड़े !!!
    मुझे कुछ शब्दों का अर्थ समझ नहीं आया, पर overall रचना समझ आ गई।

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    1. बहुत आभार आपका, लेकिन मूड और मौसम के बीच बाधा बन के आने वाले शब्दों की सूची दें।

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