हाँ, हाँ, गरजो,
बादल, गरजो!
बरस भी रहे हो,
अब तो!
मूसलाधार!
और असमय भी!
बेमौसम ।
हो गयी है अब तो,
धरती भी,
शर्म से पानी-पानी।
'गरजना' तुम्हारी भावनाएँ हैं ।
और फ़ितरत है, तुम्हारी।
'बरसना',
उन भावनाओं में।
कहना क्या चाह रहे हो?
कोई अवस्था नहीं होती
भावोद्वेग की!
कोई उम्र नहीं होती,
वश में करने और
बहने बहकने की!
तो जान लो!
एक भाव होता है,
हर 'अवस्था' का भी।
और एक पड़ाव,
हर 'भाव' का भी!
पहले पैदा करो
मन में अपने,
भावना, नियंत्रण की!
पाओगे नियंत्रण तब,
अपनी भावनाओं पर!
नहीं बरसोगे,
फिर बेमौसम, ग़ैर उम्र।
ना ही तड़पोगे तब,
और ना ही गरजोगे।
पहले बीज तो डालो,
करने को क़ाबू में, ख़ुद को।
नहीं होता नाश कभी,
कर्म के बीज का!
यही तो योग है।
पगले बादल!
Awesome 💕
ReplyDeleteजी, बहुत आभार!!!
Deleteबहुत सुन्दर 💙
ReplyDeleteजी, बहुत आभार!!!
Deleteवाह
ReplyDeleteजी, बहुत आभार!!!
Deleteगर्जना तुम्हारी फितरत है और बरसना तुम्हारी भावना .... कर्म के बीज तो डालने ही होंगे ..... कमाल की अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteजी, बहुत आभार!!!
Deleteबहुत बढ़िया आदरनीय कविवर!! बरसाती बादल की स्वछन्द गतिविधियों पर सूक्ष्म दृष्टिपात!!पर इस आचारसंहिता विहीन,उदंड और मनमौजी मेघ को क्या कोई नैतिकता का पाठ पढ़ा पाया है!इसके आवारगी भरे विचरण से कोई उजडे या फिर मिट जाए इसे क्या फिक्र?सादर 🙏
ReplyDeleteजी, बहुत आभार!!!
Deleteआपकी लिखी रचना सोमवार 10, अक्टूबर 2022 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
जी, बहुत आभार।
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteजी, बहुत आभार!!
Deleteअसमय, कभी भी भी कुछ भी, मनमौजी होते, आज के समय,समाज, को देख, लग रहा बदल भी अपनी जिद पर अड़ गया है जैसे कह रहा हो.. मेरी मर्जी.. जब चाहे बरसूं, जब चाहे गरजूं, मेरी मर्जी।
ReplyDeleteसुंदर शब्द शौष्ठव से सज्जित सार्थक और सामयिक रचना ।
जी, बहुत आभार।
Deleteबहुत सुन्दर- उषा किरण
ReplyDeleteजी, बहुत आभार।
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteजी, बहुत आभार।
Deleteपहले पैदा करो
ReplyDeleteमन में अपने,
भावना, नियंत्रण की!
पाओगे नियंत्रण तब,
अपनी भावनाओं पर!
ये तो इसकी अवस्था और पड़ाव के हद से बाहर की भावाभिव्यक्ति है आजकल...जैसे अभिव्यक्ति की आजादी इसे भी चाहिए ...
बहुत ही लाजवाब सामयिक सृजन।
सही कहा। जी, बहुत आभार।
Deleteबेजोड़, अद्भुत।
ReplyDeleteगूढ़ अर्थ समेटे सराहनीय अभिव्यक्ति।
प्रणाम
सादर।
जी, बहुत आभार।
DeleteNice parallel, nice expression.
ReplyDeleteजी, बहुत आभार।
Deleteबहुत खूब 👌👌
ReplyDeleteजी, बहुत आभार।
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