Sunday, 22 January 2023

आँचल

तेरे आँचल से भी छोटा,

चाहे जितना फैले अंबर।

सारी सृष्टि से भी संकुल

माँ घनियारा तेरा आँचर।


सात समुंदर भी डूब जाते,

नील नयन माँ तेरे घट में।

बेचारी नदियाँ  बंध जाती,

मैया तेरे नेह के तट में।


पवन प्रकंपित थम जाता माँं!

लट में तेरे अलकों के।

और दहकती अग्नि ठंडी,

तेरी शीतल पलकों में।


ब्रह्मा-विष्णु-शिव शिशु-से,

अनुसूया के आँगन में।

माँ के कान पकड़ते मिट्टी,

विश्व मोहन के आनन में।


अब दुनिया ये छोड़ गई तुम,

नेह से नाता तोड़ गई तुम।

ममता से मुँह मोड़ गई तुम,

मन का घट हिलोड़ गई तुम।


माँ, शव  मैने ढोया तेरा,

शोक नहीं ढो पता।

नहीं मयस्सर आँचल तेरा,

पल भर को खो जाता!

44 comments:

  1. नमन माँ को | फिर भी माँ कहीं आसपास ही होती है|

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  2. आपकी लिखी रचना सोमवार 23 ,जनवरी 2023 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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  3. माँ को नमन। श्रृद्धांजली 🙏

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  4. माँ के अभाव को को पूरा करना असंभव है । नमन 🙏

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  5. मां तो बस मां होती है, हर रिश्ते की सौगात होती है।
    मां को श्रद्धांजलि 🙏🙏

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  6. माँ के बिछोह की वेदनामय टीस कविता के शब्दों में स्पष्ट सुनाई देती है। ममत्व की चाह में पुत्र का यह करुण आर्तनाद भावुक कर गया।

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  7. सात समुंदर भी डूब जाते,

    नील नयन माँ तेरे घट में।

    बेचारी नदियाँ बंध जाती,

    मैया तेरे नेह के तट में।
    माँ के इस असीम नेह को शब्दों में बाँधना अद्भुत प्रयास
    बहुत ही हृदयस्पर्शी एवं भावपूर्ण सृजन।
    नमन एवं श्रद्धांजली माँ को।

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  8. अंतिम पंक्तियों ने आँख नम कर दी। निःशब्द हूँ इस शोक के लिए क्या उचित सात्वंना लिखूँ।
    मन विह्वल करती अभिव्यक्ति।
    प्रणाम
    सादर।

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  9. अंतिम पंक्तियों ने आँख नम कर दी। निःशब्द हूँ इस शोक के लिए क्या उचित सात्वंना लिखूँ।
    मन विह्वल करती अभिव्यक्ति।
    प्रणाम
    सादर।

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  10. माँ की महिमा को बखान करती, माँ को लिखती कमाल की रचना ...
    आपकी कलम को नमन है ... माँ को नमन है ...

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  11. जीवन का कोई भी भाव माँ के अभाव को दूर नही कर सकता।दिवंगत माँ की पावन स्मृतियों को समर्पित एक मर्मांतक अभिव्यक्ति आदरनीय विश्वमोहन जी,जो माँ की ममता के अनंत और असीम आँचल की पावन स्तुति है।माँ की पुण्य स्मृति को सादर नमन 🙏🙏

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  12. कभी दिवंगत दादी (जो किन्ही मायनों में भी माँ से कम ना थी)को समर्पित लिखी मेरी एक रचना मेरी डायरी से,सादर 🙏

    बोलो माँ ! आज कहाँ तुम हो ,


    है अवरुद्ध कंठ ,सजल नयन
    बोलो ! माँ आज कहाँ तुम हो ?
    कम्पित मन कर रहा प्रश्न
    बोलो माँ!आज कहाँ तुम हो ?

    जिसमें समाती थी धार
    मेरे दृग जल की,
    खो गई वो छाँव
    तेरे आँचल की ;
    जीवन रिक्त स्नेहिल स्पर्श बिन
    बोलो ! माँ आज कहाँ तुम हो ?


    हुआ आँगन वीरान माँ तुम बिन
    घर बना मकान माँ तुम बिन ,
    धूनी यादों की रमा बैठा
    मन बना श्मशान माँ तुम बिन
    चली मूँद नयन,किया चिर शयन
    बोलो ! माँ आज कहाँ तुम हो ?

    अनुपम उपहार तेरा, ये तन
    साधिकार दिया बेहतर जीवन ,
    तेरी करुणा का मैं मूर्त रूप
    तेरे स्नेहाशीष मेरा संचित धन ,
    ले प्राणों में थकन निभा जग का चलन
    बोलो माँ ! आज कहाँ तुम हो !!
    🙏🙏🙏🙏

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  13. मां के जाने से जीवन कैसे सूना हो जाता है इस पीर को मैं भी समझ सकती हूं, मां के चरणों में सत सत नमन 🙏

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  14. मन में बसे, रमते मां के स्नेह और ममता को लेखनी ने यथावत उतार दिया । मां को मेरा सादर नमन।

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  15. मां को मेरा सादर नमन l

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  16. क्या लिखूं विश्वमोहन जी, आपने निःशब्द कर दिया। एक मां की बेटी हूं और दो बेटियों की मां भी हूं।
    मां की यादों को मूर्त रूप दे दी आपने, भावविभोर करती रचना।
    मां को सादर नमन।

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  17. दिल को छुती बहुत ही सुंदर रचना, विश्वमोहन भाई।

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  18. आपकी लिखी कोई रचना सोमवार 6 मार्च 2023 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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  19. अतुलनीय
    भावुक करते शब्दविन्यास
    पावन आत्मा को सादर नमन
    माँ बच्चों के जीवन की प्रथम श्वास
    माँ को खोना जीवन को खोने सा है

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  20. Beautifully expressed… Vishwamohan bhai👌🏼💕

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  21. Emotional ! The very thought of parents not being there in the mortal world scares me much. Prayers 🙏🙏

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    1. बिलकुल सही। अत्यंत आभार।

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