तेरे आँचल से भी छोटा,
चाहे जितना फैले अंबर।
सारी सृष्टि से भी संकुल
माँ घनियारा तेरा आँचर।
सात समुंदर भी डूब जाते,
नील नयन माँ तेरे घट में।
बेचारी नदियाँ बंध जाती,
मैया तेरे नेह के तट में।
पवन प्रकंपित थम जाता माँं!
लट में तेरे अलकों के।
और दहकती अग्नि ठंडी,
तेरी शीतल पलकों में।
ब्रह्मा-विष्णु-शिव शिशु-से,
अनुसूया के आँगन में।
माँ के कान पकड़ते मिट्टी,
विश्व मोहन के आनन में।
अब दुनिया ये छोड़ गई तुम,
नेह से नाता तोड़ गई तुम।
ममता से मुँह मोड़ गई तुम,
मन का घट हिलोड़ गई तुम।
माँ, शव मैने ढोया तेरा,
शोक नहीं ढो पता।
नहीं मयस्सर आँचल तेरा,
पल भर को खो जाता!
नमन माँ को | फिर भी माँ कहीं आसपास ही होती है|
ReplyDeleteमाँ को नमन
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteआपकी लिखी रचना सोमवार 23 ,जनवरी 2023 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
जी, अत्यंत आभार।
Deleteमाँ को नमन। श्रृद्धांजली 🙏
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteमाँ को नमन
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Delete
ReplyDeleteमाँ के अभाव को को पूरा करना असंभव है । नमन 🙏
जी,अत्यंत आभार।
Deleteमां तो बस मां होती है, हर रिश्ते की सौगात होती है।
ReplyDeleteमां को श्रद्धांजलि 🙏🙏
जी, अत्यंत आभार!!!
Deleteमाँ के बिछोह की वेदनामय टीस कविता के शब्दों में स्पष्ट सुनाई देती है। ममत्व की चाह में पुत्र का यह करुण आर्तनाद भावुक कर गया।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteसात समुंदर भी डूब जाते,
ReplyDeleteनील नयन माँ तेरे घट में।
बेचारी नदियाँ बंध जाती,
मैया तेरे नेह के तट में।
माँ के इस असीम नेह को शब्दों में बाँधना अद्भुत प्रयास
बहुत ही हृदयस्पर्शी एवं भावपूर्ण सृजन।
नमन एवं श्रद्धांजली माँ को।
जी, अत्यंत आभार।
Deleteअंतिम पंक्तियों ने आँख नम कर दी। निःशब्द हूँ इस शोक के लिए क्या उचित सात्वंना लिखूँ।
ReplyDeleteमन विह्वल करती अभिव्यक्ति।
प्रणाम
सादर।
जी, आभार 🙏🙏🙏
Deleteअंतिम पंक्तियों ने आँख नम कर दी। निःशब्द हूँ इस शोक के लिए क्या उचित सात्वंना लिखूँ।
ReplyDeleteमन विह्वल करती अभिव्यक्ति।
प्रणाम
सादर।
माँ की महिमा को बखान करती, माँ को लिखती कमाल की रचना ...
ReplyDeleteआपकी कलम को नमन है ... माँ को नमन है ...
जी, अत्यंत आभार।
Deleteजीवन का कोई भी भाव माँ के अभाव को दूर नही कर सकता।दिवंगत माँ की पावन स्मृतियों को समर्पित एक मर्मांतक अभिव्यक्ति आदरनीय विश्वमोहन जी,जो माँ की ममता के अनंत और असीम आँचल की पावन स्तुति है।माँ की पुण्य स्मृति को सादर नमन 🙏🙏
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteकभी दिवंगत दादी (जो किन्ही मायनों में भी माँ से कम ना थी)को समर्पित लिखी मेरी एक रचना मेरी डायरी से,सादर 🙏
ReplyDeleteबोलो माँ ! आज कहाँ तुम हो ,
है अवरुद्ध कंठ ,सजल नयन
बोलो ! माँ आज कहाँ तुम हो ?
कम्पित मन कर रहा प्रश्न
बोलो माँ!आज कहाँ तुम हो ?
जिसमें समाती थी धार
मेरे दृग जल की,
खो गई वो छाँव
तेरे आँचल की ;
जीवन रिक्त स्नेहिल स्पर्श बिन
बोलो ! माँ आज कहाँ तुम हो ?
हुआ आँगन वीरान माँ तुम बिन
घर बना मकान माँ तुम बिन ,
धूनी यादों की रमा बैठा
मन बना श्मशान माँ तुम बिन
चली मूँद नयन,किया चिर शयन
बोलो ! माँ आज कहाँ तुम हो ?
अनुपम उपहार तेरा, ये तन
साधिकार दिया बेहतर जीवन ,
तेरी करुणा का मैं मूर्त रूप
तेरे स्नेहाशीष मेरा संचित धन ,
ले प्राणों में थकन निभा जग का चलन
बोलो माँ ! आज कहाँ तुम हो !!
🙏🙏🙏🙏
नि:शब्द!🙏🙏🙏
Deleteमां के जाने से जीवन कैसे सूना हो जाता है इस पीर को मैं भी समझ सकती हूं, मां के चरणों में सत सत नमन 🙏
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteमन में बसे, रमते मां के स्नेह और ममता को लेखनी ने यथावत उतार दिया । मां को मेरा सादर नमन।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteमां को मेरा सादर नमन l
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार!!!
Deleteक्या लिखूं विश्वमोहन जी, आपने निःशब्द कर दिया। एक मां की बेटी हूं और दो बेटियों की मां भी हूं।
ReplyDeleteमां की यादों को मूर्त रूप दे दी आपने, भावविभोर करती रचना।
मां को सादर नमन।
जी, अत्यंत आभार।
Deleteदिल को छुती बहुत ही सुंदर रचना, विश्वमोहन भाई।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteआपकी लिखी कोई रचना सोमवार 6 मार्च 2023 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
जी, अत्यंत आभार।
Deleteअतुलनीय
ReplyDeleteभावुक करते शब्दविन्यास
पावन आत्मा को सादर नमन
माँ बच्चों के जीवन की प्रथम श्वास
माँ को खोना जीवन को खोने सा है
जी, हार्दिक आभार!!!
DeleteBeautifully expressed… Vishwamohan bhai👌🏼💕
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
DeleteEmotional ! The very thought of parents not being there in the mortal world scares me much. Prayers 🙏🙏
ReplyDeleteबिलकुल सही। अत्यंत आभार।
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