Tuesday, 12 September 2023

छोड़ो बक- बक

 मेरी खरी और तेरी खोटी,

इसमें जीवन बीता।

इसी उलझन में फंसे रहे,

कौन हारा, कौन जीता।


छोड़ो बक- बक,

हो जा चुप अब।

बोलोगे तो,

सोचोगे कब।


नहीं रहेगा,सुननेवाला,

महफिल ये छोड़ेंगे सब।

आगे नाथ न पीछे पगहा,

तो तू क्या करेगा तब?


आँखों में न साजो सपने,

न हसरत हो सीने में।

जो सुख अंजुरी भर पानी में

नहीं मदिरा पीने में।


नहीं रहेगा मेला हरदम,

न ये खुशबू भीनी।

' आए अकेले, जाओ अकेले '

भ्रम भेक भूअंकिनी।


जो मुक्ति अंतस के घट में,

नहीं काशी मदीने में।

दुनिया जितनी छोटी हो,

उतनी अच्छी जीने में।