Thursday, 9 November 2023

सृजन सवेरा


 जल के तल पर,

स्वर्ण रेखा से, 

पथ बन सूरज

सो गया।

मस्तुल पर मस्त

अन्यमनस्क मन ,

अकेलेपन में

खो गया।


तट से दूर,

अंदर जाकर,

पानी भी रंग

बदल लेता!

फिर क्यों मन

चंचल होकर भी,

आज अचेत सा

यूँ  लेटा?


बस पल भर,

बीत जाते ही,

कंचन वीथि

खो जाएगी।

गागर में

रजनी अपनी,

सागर समेट

सो जाएगी।


नीचे तम,

और ऊपर भी तम,

और क्षितिज भी,

चहुँ मुख हो सम।

अँधियारे  लिपटे

अन्हार को,

भी न खुद

होने का भ्रम!



दृश्य जगत का,

छल प्रपंच,

अदृश्य अमा के

तिमिर काल।

न होगा ऊपर

नील गगन,

न नीचे रत्ना

गर्भ ताल।


फिर खोए नितांत

एकांत में,

जागे मानस,

इच्छा तत्व।

तीन गुणों में

सूत्र आबद्ध,

राजस, तमस

और सृजन सत्व।


' न होने ' से 

'हो जाने ' , के,

' प्रत्यभिज्ञा ' अंकुर-मुख 

खोलेगा।

कालरात्रि के

छोर क्षितिज,

सृजन सवेरा

डोलेगा।















21 comments:

  1. अत्यंत सुंदर प्रभावशाली अभिव्यक्ति, अध्यात्मिक रहस्यों के.प्रति रूचि ऐसी जटिल और गूढ़ रचनाओं को जन्म देती है।
    प्रणाम
    सादर।
    -----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १० नवम्बर २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    ReplyDelete
  2. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति एवं काव्य पाठ विश्व मोहन जी...🙏🙏🙏

    ReplyDelete
  3. अत्यंत सुंदर सृजन और काव्यपाठ

    ReplyDelete
  4. वाह अप्रतिम अभिराम सुंदर भाव प्रवण सृजन उतना ही सुंदर वांचन
    दीपोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी, बहुत आभार। हार्दिक शुभकामनाएं, दिवाली की।

      Delete
  5. वाह कविराज ! शुद्ध-प्रांजल भाषा में तुम्हारे उच्च दार्शनिक विचार तो ध्यानस्थ हो कर ही पढ़ने पड़ते हैं !

    ReplyDelete
  6. सुन्दर प्रस्तुति एवं काव्य पाठ विश्व मोहन जी ... कमाल किया है ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. Hello Admin Sir, your website is so beautiful and informational, I am daily visit your website and read articles, your website article Baba Balaknath Biography in Hindi is so impressive.

      Delete
  7. प्रकृति के नयनाभिराम सौन्दर्य को अत्यंत भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी है! हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ आदरणीय विश्व मोहन जी 🙏

    ReplyDelete
  8. फिर खोए नितांत

    एकांत में,

    जागे मानस,

    इच्छा तत्व।

    तीन गुणों में

    सूत्र आबद्ध,

    राजस, तमस

    और सृजन सत्व।
    वाह!!!
    अत्यंत सारगर्भित, एवं भावप्रवण
    लाजवाब सृजन।

    ReplyDelete