Wednesday, 10 April 2024

पात पात पर पखेरू गात


मृण्मयी भू, आज अजर-अजिर!
चिन्मय चेतन घर आया है।
क्षिति जल पावक गगन समीर संग,
पुरुष तत्व भर आया है।

पुलकित तरु के पात-पात पर,
चिड़ियाँ चंचल चहक रही हैं।
पवन मचाए उधम दम भर,
कुंज लताएँ बहक रही हैं।

संग अनंग वसंत मधुरास रत,
आरक्त कानन का आनन है।
उलझी बेल द्रुम प्रेम खेल में,
ऋतु हाला में अवगाहन है।

शुक, सारिका, हारिल, श्यामा,
रति - राग और प्रीत की बात।
उपवन सघन सरस मद छात,
पात पात पर पखेरू गात।


 

22 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 11 अप्रैल 2024 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  2. बहुत बहुत सुन्दर

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  3. बहुत सुंदर रचना

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  4. वाह! क्या बात है ,बहुत खूबसूरत सृजन

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  5. अतिशय सुंदर सृजन

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  6. बहुत सुन्दर रचना 👌
    Nice video..

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  7. ब्लॉग और सुंदर हो गया आपका। बधाई

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  8. मैं कई वर्षों से जुड़ी हूँ आकाशवाणी से, आप भी वहीं से हैं जानकर अच्छा लगा।

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  9. हमेशा की तरह लाजवाब रचना! बधाई आदरणीय विश्वमोहन जी🙏

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  10. वाह!!!
    बहुत सुन्दर मनोरम
    शब्दों की जादूगरी विशेष !!!

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    1. जी, हार्दिक आभार आपके प्रोत्साहन का🙏🏼

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