प्रिय, प्रीत के गीत सुनाओ,
अंधियारे मे दीया जलाओ.
शब्द मेरे और सुर हो तेरे,
जीवन से हो दूर अंधेरे.
विपदा की बदली जब घेरे,
सजनी मेघ राग तुम छेड़े.
छंटे घन हो सुख के उजियाले,
बांध समा कुछ ऐसा गा ले.
निशा दिवा के आलिंगन में,
एक प्रहर तो यूं मना लो.
कि दुख भागे और सुख जागे,
अंधियारे में दीया जला लो.
जीवन के प्रतिकुल विषम में,
प्रेम राग ही संजीवन है.
कर्म ज्ञान प्रचंड प्रांगण में,
शीतल भक्ति रस रंजन है.
अधरों पे अमृत तू धारे,
जीव जगत से करे किनारे.
चेतन अक्षय लय सुर ढ़ारे,
ब्रह्म सत्य श्लोक उचारे.
बज उठे कन्हैया की मुरली,
और राधा की पायल झमके.
ले हिमाचल में उमा बलैया,
हर हर की हर डमरु थपके.
सुर सप्तक सम्राज्ञी साधो,
आओ दीपक राग सुनाओ.
चित चहके, मन मह मह महके,
अंधेरे में दीया जलाओ.
ये जग है माटी का दीया,
तैल तृष्णा आप्लावित है.
अज्ञान अमावस है कातिक की,
घोर तिमिर धरा शापित है.
मैं बाती, तू मेरी जोत बन,
आलोकित कण-कण कर जाओ.
ब्रह्म-ज्योति जग जगमग कर दे,
दीप जलाओ दीप जलाओ.
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ReplyDeleteShubha Mehta
+1
वाह!!बहुत सुंदर ...दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ।
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Vishwa Mohan
+Shubha Mehta आपको दीपावली की सादर सपरिवार शुभकामनाएं!!!
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Renu
+1
दीपपर्व की सुंदर प्रतीकात्मक रचना | हार्दिक शुभकामनायें |
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Vishwa Mohan
आभार। आपको भी समस्त पर्वों की शुभकमनाएं!
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NITU THAKUR: मैं बाती, तू मेरी जोत बन,
ReplyDeleteआलोकित कण-कण कर जाओ.
ब्रह्म-ज्योति जग जगमग कर दे,
दीप जलाओ दीप जलाओ
very nice ......Happy dipawali
Vishwa Mohan: आभार एवम आपको सपरिवार इस व्रत श्रृंखला के सभी उत्सवों की शुभकामना!!!
NITU THAKUR: +Vishwa Mohan ji Thanks
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ReplyDeleteKusum Kothari
Moderator
+1
वाह वाह अतिसुन्दर अप्रतिम।
दीप जलाओ दीप जलाओ सुंदर पवित्र भाव राग विराग साथ साथ, अद्भुत काव्य।
धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं।
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Oct 17, 2017
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Vishwa Mohan
+1
+Kusum Kothari आभार और आगामी सभी व्रत त्योहारों की बधाई और शुभकामनाएं!
Oct 17, 2017
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NITU THAKUR
+1
धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं।
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Oct 18, 2017
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Vishwa Mohan
आपको भी सपरिवार शुभकामनाएं!
ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
२१ अक्टूबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।,
खूबसूरत उपमाओं से सुसज्जित ,लाजवाब रचना विश्व मोहन जी ।
ReplyDeleteशुभकामनाएं। सुन्दर रचना।
ReplyDeleteबढ़िया
ReplyDeleteदिवाली की अनंत शुभकामनाएं
वाह!क्या लय है। अद्भुत।
ReplyDeleteआभार हृदय तल से!
Deleteजीवन के प्रतिकुल विषम में,
ReplyDeleteप्रेम राग ही संजीवन है.
कर्म ज्ञान प्रचंड प्रांगण में,
शीतल भक्ति रस रंजन है
वाह!!!!
हमेशा की तरह बहुत ही लाजवाब सृजन
दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं...
आभार हृदय तल से!
Deleteकौनसी पंक्ति का यहाँ उल्लेख करूँ, समझ नहीं पा रही हूँ। हर पंक्ति काव्यसौंदर्य के साथ साथ विचारसौंदर्य का अनुपम उदाहरण है। बहुत बहुत बधाई सुंदर रचना के लिए।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार आपका।
Deleteसुर सप्तक सम्राज्ञी साधो,
ReplyDeleteआओ दीपक राग सुनाओ.
चित चहके, मन मह मह महके,
अंधेरे में दीया जलाओ.
प्रियतमा को अत्यंत आत्मीय उदबोधन आदरणीय विश्वमोहन जी | गेयता और माधुर्य से भरी रचना के लिए हार्दिक शुभकामनायें |
आपकी संजीवनी समीक्षा हमेशा प्रेरणा देती है मेरी लेखनी को। अत्यंत आभार।
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ReplyDeleteये जग है माटी का दीया,
तैल तृष्णा आप्लावित है.
अज्ञान अमावस है कातिक की,
घोर तिमिर धरा शापित
लाजवाब जीवन दर्शन👌👌👌🙏🙏
और लाज़वाब आशीर्वाद। तीसरी बार😀 अत्यंत आभार।
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 14 नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteअति सुंदर एवं भावपूर्ण रचना। साधुवाद।
ReplyDeleteमैं बाती, तू मेरी जोत बन,
ReplyDeleteआलोकित कण-कण कर जाओ.
ब्रह्म-ज्योति जग जगमग कर दे,
दीप जलाओ दीप जलाओ.
सुंदर रचना
शुभ हो दीपोत्सव सभी के लिये मंगलकामनाएं।
ReplyDeleteये जग है माटी का दीया,
ReplyDeleteतैल तृष्णा आप्लावित है.
अज्ञान अमावस है कातिक की,
घोर तिमिर धरा शापित है
–सच्ची भावाभिव्यक्ति.. उम्दा सृजन हेतु बधाई
दीपोत्सव की शुभकामनाएँ
शुभ दीपोत्सव!!!
Deleteबहुत सुन्दर सरस रचना |
ReplyDeleteआभार।
Deleteहाँ सखा दीप जलाओ
ReplyDeleteअंधियारा कुछ जीत रहा है
पाखंड अप्रचार अप्रसार की
का अंधकार पसरा है
घी प्रीत का उझलो मन भर
दीप से दीप सुलग उठे निरंतर
शीत तमस को परे सरका कर
विश्व परिसर को उज्ज्वल कर जाओ
दीप जलाओ
दीप जलाओ
प्रेम शांति की ज्योत ले आओ 😍
Happy Diwali my Friend 😍
Sabina
वाह! बहुत सुंदर संदेश🌹🌹🌹
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