बावरी बयार बाँचे
आगी लागी बगिया.
जोहे जोहे बाट जे
बिलम गयी अँखिया .
सुरज धनक गये
झुलस गयी भुँइया.
दुबकी दुपहरी
बरगद के छैंया .
गौरैया,
ले रे बलैया,
मोर अँगनैया.
चप चप कंचुकी
चिपक गयी अँगिया.
छुइमुइ छतिया
सरम गयी सखियाँ.
मोंजरे अमवा के
पतवा पतैया.
टपके पसीनवा
चट चट चटैया.
गौरैया,
ले रे बलैया,
मोर अँगनैया.
पिआसे परान फाटे,
उमस कसैया.
पनघट तरसत
ताल तलैया.
जिअरा जोआर जारे
हिअरा हुकार मारे.
सगरो गोहार करे
आव पुरवइआ.
गौरैया,
ले रे बलैया,
मोर अँगनैया.
सागर हिलोरा ले
घटवा अकोरा ले.
घन घरसन करे
मेघ बरसइआ.
चेतन जगत भयो
हरी हरीअइआ.
गुलशन गुलज़ार
चहके चिरैया.
गौरैया,
ले रे बलैया,
मोर अँगनैया.
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ReplyDeleteIndira Gupta
+1
सरस कोई भी भाषा हो आपकी रचना तारतम्यता लिये होती है ! उम्दा
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37w
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Vishwa Mohan
आपके आशीष भी तो उतने ही उदार और सरस होते हैं। बहुत आभार आपका!!!
37w
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Indira Gupta
+Vishwa Mohan
🙏आशीष ..😃😃
सूर्य को दीपक दिखा सकता है कौन
🙏🙏🙏🙏
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anchal pandey: वाह वाह बेमिसाल रचना
ReplyDeleteअब इससे सुंदर और क्या लिखा जा सकता है
सरस सुंदर भाव लिए गाती हुई रचना
अद्भुत अतुलनीय 👌
सादर नमन सुप्रभात आदरणीय सर 🙇
Vishwa Mohan: अत्यंत आभार!!!
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ReplyDeleteanchal pandey
Moderator
+1
बहुत सुंदर
लाजवाब रचना आदरणीय
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37w
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Vishwa Mohan
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+1
+anchal pandey अत्यंत आभार आपके आशीष का, हृदय तल से!
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anchal pandey
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+Vishwa Mohan you deserve it respected Sir
37w
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Indira Gupta
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+2
आओ चिरईया
मेरे अँगनाईया ....सुन्दर लोकगीत का रंग लिये लेखन ...👌👌👌👌👌
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