Tuesday, 26 July 2016

गौरैया






भटक गयी है गौरैया
रास्ता अपने चमन का
सूने तपते लहकते
कंक्रीट के जंगल में
आग से उसनाती
धीरे से झाँकती
किवाड़ के फाफड़ से

वातानुकुलित कक्ष
सहमी सतर्क
न चहचहाती न फुदकती
कोठरी की छत को
निहारती फद्गुदी
अपनी आँखों मे ढ़ोती
घनी अमरायी कानन की......

....टहनियों के झुंड मे
झूलते घोंसले
जहां चोंच फैलाये
बाट जोह रहे हैं
चिचियाते चूजे!
भटक गयी है गौरैया


रास्ता अपने चमन का !

5 comments:

  1. Indira Gupta's profile photo
    Indira Gupta
    +1
    मार्मिक ओर गहन सोच की रचना ।
    👏👏👏👏👏👏
    अल्फाजो के दरवाजों से
    गोरैया चिल्लाती है
    कंकरीट के उगते जंगल से
    फड़फड़ाने की आवाज आती है ।
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    46w
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    हार्दिक आभार!!
    46w
    Meena Gulyani's profile photo
    Meena Gulyani
    +2
    bahut sunder
    46w
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    +Meena Gulyani आभार!
    46w
    NITU THAKUR's profile photo
    NITU THAKUR
    Owner
    बेहद शानदार रचना .....खूबसूरत
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  2. अंतर को छूती रचना गौरैया बस गायब होने के कगार पर है।

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  3. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
    सादर

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