तारसप्तक
मन्द्र सा
चिर प्रीत पूनम चन्द्र सा
सरित स्मित धार सा
तू शब्द मै ॐकार सा
मै मार्तंड तू ताप सा
मै मृदंग तू थाप सा
मै नींद तू नीरव निशा
तू जीवन मै जिजीविषा
ये प्रीत पथ अनंत का,
अदृश्य दिग दिगंत सा .
विश्व मै तू जीव सा,
बस ढाई आखर पीव का.
है न दैहिक और न भौतिक,
परा, अपार, पारलौकिक.
अश्रु के प्रवाह में,
भाव तरल अथाह ये.
डूबते यूँ जाएँ हम,
न तू-तू मै-मै और ख़ुशी गम.
दूर क्यों होना है गुम,
आ, हो समाहित हममें तुम
हो आहुति मेरे ' मैं ' की,
और तुम्हारे ' तू ' का क्षय.
आत्म का उत्सर्ग उत्सव,
चिर समाधि अमिय अक्षय.
Kavita Naveen Parashar: अति सार्थक व सुंदर
ReplyDeleteVishwa Mohan: +Kavita Naveen Parashar जी , धन्यवाद!!!!
Kusum Kothari's profile photo
ReplyDeleteKusum Kothari
+1
स्व मे स्व का लीन होने का उत्सर्ग, उत्सव रूप, आलोकिक अनुभूति, अद्वितीय भाव सुंदर शब्द सौष्ठव उच्चतम दर्जे का काव्य भावों का उर्धमुखी सोपान। नमन आपको।
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Aug 20, 2017
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Vishwa Mohan
+Kusum Kothari आपके अलंकृत आशीर्वचनो का आभार एवं नमन!!!
Aug 20, 2017
अमित जैन 'मौलिक''s profile photo
अमित जैन 'मौलिक'
Owner
+1
तारसप्तक मन्द्र सा
चिर प्रीत पूनम चन्द्र सा
सरित स्मित धार सा
तू शब्द मै ॐकार सा
अद्भुत अद्भुत अद्भुत कविवर। नमन आपकी लेखनी को। रूहानी इश्क़ तो अहम की आहुति देने पर ही हो सकता है। चाहे वो ईश्वरीय हो चाहे वो सांसारिक हो।
भव्यतम रचनात्मकता। शुभ रात्रि
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Aug 21, 2017
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Vishwa Mohan
+अमित जैन 'मौलिक' आशीष के अमित आनंद का आभार!!
Aug 21, 2017
ये प्रीत पथ अनंत का,
ReplyDeleteअदृश्य दिग दिगंत सा .
विश्व मै तू जीव सा,
बस ढाई आखर पीव का.
🙏🙏🙏🙏🙏
हार्दिक आभार🙏🙏
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