दूर क्षितिज
के छोर पर
बंधी है सँझा
रानी
रंभाती बांझीन
गाय की तरह
आसमान के
खूंटे से
वित् वर्ष की
अंतिम पूरनमासी है जो!
पीये जा रहा
है समंदर
बेतरतीब
बादलों को , बेहिसाब!
लहराते लघुचाप
में झमकती झंझावातें
गपक गप्प
गपकती भंवरे
भूल चुक लेनी
देनी है जो!
ताकता टुकुर
टुकुर, टंगा चाँद
टोकरी में ढके
सूरज को,
होगा
'अभिमन्यु-वध', फिर
डूबकी मारेगा
रत्नाकर में,
करना है दिगंबर अम्बर को जो!
जोहते बाट,
पथिक, पथराई आँखों से,
बांध बनने,
पुल झुलने और डायवर्सन खुलने का
उंघती सोती सड़के
तैयार, सरकने को नवजात अस्पताल तक,
होगी रेलम पेल
फिर फाइल, सरपट भागती सवारियों से,
'विकास' के प्रसव की तिथि का उप 'संहार' है जो!
थामे पल्लू, पुलकित पलकों
पे , घूँघट पट में,
ललचाये लोचन
लावण्यमयी ललनाओं के.
'खुले
में शौचमुक्त' होने का, गाँव के.
मिलेंगे तैयार, जाने तक, शौचालय संचिकाओं में.
होने हैं
'अपशिष्ट' निःशेष ,सँझा के खुलने तक जो!
हैं श्रमरत! दफ्तर में, सूरमे संचिकाओं के,
निपटाने में, व्यूह-दर-व्यूह
रचनाओं को .
युद्ध-निपुण
'कर्ण'धारों के पराक्रम का कुटिल प्रहार.
लो, खेत रहा सौभद्र! और धंसा धरती में अर्थचक्र.
समर का, इस
साल के, अवसान होना है जो!
मिला संकेत
'गुडाकेश' का! झांके, फिर डूबे! 'अंशुमाली'.
खुलकर फैली
संझा, लगी चाँद-तारों की रखवाली
पसारे पाँव
पूनम ने, मचाने लगा उधम, मनचला पवन!
पी रहे हैं, सब, छककर 'चांदनी' और काट रहे चांदी
दुधिया
पूरनमासी है बीते वित्त वर्ष की जो!
NITU THAKUR's profile photo
ReplyDeleteNITU THAKUR
Owner
+1
बेहद खूबसूरत ... निशब्द
Translate
45w
Vishwa Mohan's profile photo
Vishwa Mohan
+1
+Nitu Thakur आभार!!!
45w
Meena Gulyani's profile photo
Meena Gulyani
+1
nice
45w
Vishwa Mohan's profile photo
Vishwa Mohan
+Meena Gulyani आभार!!!
Indira Gupta: बहुत खूब
ReplyDeleteIndira Gupta: बहुत खूब
Vishwa Mohan: +Indira Gupta आभार!!!