Saturday, 12 May 2018

माँ, सुन रही हो न......


माँ,
सुनो न!
रचती तुम भी हो
और 
वह.
ईश्वर भी!
सुनते है, 
तुमको भी,
उसीने रचा है!
फिर! 
उसकी
यह रचना,
रचयिता से 
अच्छी क्यों!
भेद भी किये 
उसने 
रचना में,
अपनी !
और, 
तुम्हारी रचना!
.....................
बिलकुल उलटा!
फिर भी तुम
लौट गयी 
उसी के पास !
कितनी 
भोली हो तुम!
माँ, सुन रही हो न......
माँ............!!!

8 comments:

  1. अमित जैन 'मौलिक''s profile photo
    अमित जैन 'मौलिक'
    Owner
    +1
    बिलकुल उलटा!


    फिर भी तुम
    लौट गयी
    उसी के पास !
    कितनी
    भोली हो तुम!

    माँ, सुन रही हो न......

    माँ............!!!

    क्या कहें कविवर आपको पढ़कर लगता है जैसे अभी लिखना ही नहीं आया। उत्कृष्ट रचना। वाह वाह
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    39w
    Indira Gupta's profile photo
    Indira Gupta
    +2
    लाजवाब विश्व मोहन जी बेहतरीन अल्फाज और उनका व्यक्तीकरण ...एक दम अनूठा अंदाज
    सही कहा मौलिक जी ने एसा लगता है लेखन के आप कवि सरताज !
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    39w
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    Indira Gupta
    +2
    माँ सुन रही हो ......वाह लफ्जों की कसीदाकारी कोई सीखे आप से ....कलियाँ गुच्छ या गदराये फूलों से है भाव !
    नमन
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    39w
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    Vishwa Mohan
    +1
    +Indira Gupta आभार!!!
    39w
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    Vishwa Mohan
    +1
    +Indira Gupta हृदय तल से आभार आपका!!!
    39w
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    Vishwa Mohan
    +1
    +अमित जैन 'मौलिक' हृदय तल से आभार आपके आशीष का!!!

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  2. Kusum Kothari: रिक्त स्थान कितना कुछ कह रहा है वाह अप्रतिम अद्भुत।
    Vishwa Mohan: +Kusum Kothari जी , बहुत आभार आपका!!!

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 20 सितम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. फिर भी तुम
    लौट गयी
    उसी के पास !
    कितनी
    भोली हो तुम!

    माँ, सुन रही हो न......
    बालसुलभ मासूमियत के साथ पूछा प्रश्न...
    लाजवाब सृजन
    वाह!!!

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