उठती गिरती साँसों में,
खयालों में अहसासों में।
पलकर पल-पल पलकों में,
भाव गूँथ गुंफ अलकों में।
सपनों में श्वेत शुभ्र कुंद,
मंद-मंद मन मुकुल मुंद।
निष्पंद नयन नम सन्निपात,
धूमिल धूसरित धुलिसात।
महाशून्य-से सन्नाटे में,
गहराते गर्त में भाटे के।
तुमुल नाद से आर्त तमस,
धँस जाते तुम उर अंतस।
ले प्राणों का
प्रिय प्रकम्पन,
अर्पित कामना
कनक कुंदन।
हर विरह में रह-रह कर,
दाह दुस्सह दुःख सह-सह कर।
पाषाण हृदयी
हे निर्दया,
तू चिर जयी मै
हार गया।
निश्छल मन मेरा गया छला,
अलबिदा!
निःशब्द,निष्प्राण चला।
अवशोषित शोणित के कण में,
पार प्रिये प्राणों के पण
में।
आज उड़े जब पाखी मन के,
ढलके हो तुम आँसू बन के।
ले अर्ध्य अश्रु अनुराग नमन,
पावन आप्लावन जनम-जनम।
नीर प्रकृति क्षय
क्षार गरल,
बहूँ पुरुष भव
भाव तरल।.
Srishti Tripathi: बेहतरीन रचना....👌🙏
ReplyDeleteVishwa Mohan: +Srishti Tripathi सादर आभार!!!
Roli Abhilasha (अभिलाषा): सुंदर भाव एवम शब्दों से सज्जित कृति👍👍👍
ReplyDeleteVishwa Mohan: सादर आभार!!!
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ReplyDeleteNITU THAKUR
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लाजवाब
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Vishwa Mohan
सादर आभार!!!
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sunder and emotional
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Vishwa Mohan
+Meena Gulyani सादर आभार!!!
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Meena Gulyani
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welcome ji
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 18 सितम्बर 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जी, बहुत आभार।
Deleteमार्मिक रचना
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteभावपूर्ण,आलंकारिक शब्दों से सजी हृदय स्पर्शी रचना।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार!!!
Deleteये अर्घ्य तो लाजवाब है ....... अति सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति ।।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार!!!
Deleteआपके शब्दों के चमत्कार सम्मोहित कर देते है ।
ReplyDeleteअभिनव भाव,अभिनव व्यंजनाएं।
श्र्लाघनीय सृजन।
जी, आपके आशीष का आभार।
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