Sunday 21 October 2018

अर्ध्य अश्रु -अनुराग नमन


उठती गिरती साँसों में,
खयालों में अहसासों में।
पलकर पल-पल पलकों में,
भाव गूँथ गुंफ अलकों में।

सपनों में श्वेत शुभ्र कुंद,
मंद-मंद मन मुकुल मुंद।
निष्पंद नयन नम सन्निपात,
धूमिल धूसरित  धुलिसात।

महाशून्य-से सन्नाटे में,
गहराते गर्त में भाटे के।
तुमुल नाद से आर्त तमस,
धँस जाते तुम उर अंतस।

ले प्राणों का प्रिय प्रकम्पन,
अर्पित कामना कनक कुंदन।
हर विरह में रह-रह कर,
दाह दुस्सह दुःख सह-सह कर।

पाषाण हृदयी हे निर्दया, 
तू चिर जयी मै हार गया।
निश्छल मन मेरा गया छला,
अलबिदा! निःशब्द,निष्प्राण चला।

अवशोषित शोणित के कण में,
पार प्रिये प्राणों के पण में।
आज उड़े जब पाखी मन के,
ढलके हो तुम आँसू  बन के।

ले अर्ध्य अश्रु अनुराग नमन,
पावन आप्लावन जनम-जनम।
नीर प्रकृति क्षय क्षार गरल,
बहूँ पुरुष भव भाव तरल।.


13 comments:

  1. Srishti Tripathi: बेहतरीन रचना....👌🙏
    Vishwa Mohan: +Srishti Tripathi सादर आभार!!!

    ReplyDelete
  2. Roli Abhilasha (अभिलाषा): सुंदर भाव एवम शब्दों से सज्जित कृति👍👍👍
    Vishwa Mohan: सादर आभार!!!

    ReplyDelete
  3. NITU THAKUR's profile photo
    NITU THAKUR
    Owner
    +1
    लाजवाब
    Translate
    15w
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    सादर आभार!!!
    15w
    Meena Gulyani's profile photo
    Meena Gulyani
    +1
    sunder and emotional
    15w
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    +Meena Gulyani सादर आभार!!!
    15w
    Meena Gulyani's profile photo
    Meena Gulyani
    +1
    welcome ji

    ReplyDelete
  4. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 18 सितम्बर 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  5. भावपूर्ण,आलंकारिक शब्दों से सजी हृदय स्पर्शी रचना।

    ReplyDelete
  6. ये अर्घ्य तो लाजवाब है ....... अति सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति ।।

    ReplyDelete
  7. आपके शब्दों के चमत्कार सम्मोहित कर देते है ।
    अभिनव भाव,अभिनव व्यंजनाएं।
    श्र्लाघनीय सृजन।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी, आपके आशीष का आभार।

      Delete