कल्प आदि का महाप्रलय था,
अंकुर बीज में अबतक लय था.
प्रकृति अचेत और पुरुष गुप्त था,
चेतन शक्ति निष्प्राण सुप्त था.
शक्ति हीन शिव सोया शव था,
दिग्दिगंत निःशब्द नीरव था.
चक्र चरम था आरोहण का,
परम शिव सिरजन ईक्षण का.
'प्रत्यभिज्ञा', पूर्ण विदित सुनो,
शिवरात्री सुर संगीत सुनो.
अब निर्गुण संग सगुण होगा,
भक्ति में ज्ञान निपुण होगा.
रस ज्ञान में भक्ति घोलेगी,
नव सूत्र सृजन का खोलेगी.
अनहद में आहद कूजेगा,
त्रिक ताल तुरीय गूंजेगा.
अद्वैत में द्वैत यूँ निखरेगा,
स्पंद-सार स्वर बिखरेगा.
कल्प-काल-क्रिया की रीत सुनो,
शिवरात्री सुर संगीत सुनो.
अब सुन लो डमरू
शंकर की,
ये है बारात प्रलयंकर
की.
शिव ने शक्ति समेटी है,
अपनी जटा लपेटी है.
चित और आनंद मिलेंगे,
कैलाश में किसलय खिलेंगे.
सृष्टि का होगा स्पंदन,
कल्प नया, करो अभिनन्दन.
नव चेतन, चिन्मय गीत सुनो,
शिव ने शक्ति समेटी है,
अपनी जटा लपेटी है.
चित और आनंद मिलेंगे,
कैलाश में किसलय खिलेंगे.
सृष्टि का होगा स्पंदन,
कल्प नया, करो अभिनन्दन.
नव चेतन, चिन्मय गीत सुनो,
शिवरात्रि सुर संगीत सुनो.
ReplyDeleteपावन शिवरात्री की आप को शुभकामनाएं....
जय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
05/03/2019 को......
[पांच लिंकों का आनंद] ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में......
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
जी, अत्यंत आभार आपका. ॐ नमः शिवाय.
Deleteब्लॉग बुलेटिन टीम की और मेरी ओर से आप सब को महाशिवरात्रि पर बधाइयाँ और हार्दिक शुभकामनाएँ |
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 04/03/2019 की बुलेटिन, " महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जी, अत्यंत आभार आपका। ॐ नमः शिवाय।
Deleteअब निर्गुण संग सगुण होगा,
ReplyDeleteभक्ति में ज्ञान निपुण होगा.
रस ज्ञान में भक्ति घोलेगी,
नव सूत्र सृजन का खोलेगी....बहुत ही सुन्दर आदरणीय
सादर
बहुत ही बेहतरीन रचना
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार आपका।
Deleteसृष्टि का होगा स्पंदन,
ReplyDeleteकल्प नया, करो अभिनन्दन.
नव चेतन, चिन्मय गीत सुनो,
शिवरात्रि सुर संगीत सुनो.
भक्ति रस में डूबी अत्यंत सुंदर रचना ,सादर नमस्कार
जी, अत्यंत आभार आपका।
Deleteअप्रतिम अद्भुत। ।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
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DeleteIndira Gupta
अप्रतिम ..अप्रतिम ...अप्रतिम
कविराज विश्व मोहन ज़ी
हर हर महादेव ..
🙏🌱🍀🌿🌾🌵🍂
हे महाकाल भैरव शम्भू
हे बाघम्बर धारी भोले
हे रुद्र एकादश त्रिपुरारी
देवादी देव औघड़ दानी !
हे निखिल सृष्टि हे सत्यकाम
हे महादेव शत शत प्रणाम !
Vishwa Mohan
+Indira Gupta अत्यंत आभार, सादर।
Meena Gulyani's profile photo
Meena Gulyani
+1
bahut hi sunder
Meena Gulyani
My new book Ehsaas is going to be published soon in the month of April. I may not be permitted by Google plus to share notifications etc. from tomorrow onwards. I am not sure about it. I am thankful to all of u for ur affection and cooperation . U can share my posts on Pratilipi .com also . Thanks once again to all.
Vishwa Mohan
+Meena Gulyani बधाई और शुभकामनाएं!
अब निर्गुण संग सगुण होगा,
ReplyDeleteभक्ति में ज्ञान निपुण होगा.
रस ज्ञान में भक्ति घोलेगी,
नव सूत्र सृजन का खोलेगी
बहुत सुन्दर...., भक्तिरस में डूबी भावपूर्ण रचना ।
जी, अत्यंत आभार आपका।
Deleteआदरणीय विश्वमोहन जी -- शिव और शक्ति के मिलन की साक्षी महाशिवरात्री अपने आप में दुर्लभ दर्शन समेटे हुए है | शिव शक्ति के शाश्वत मिलन के आनन्द को आपने जिन शब्दों में लिखा है वह बेजोड़ है | सरस ,सरल , मनभावन गीति -काव्य अनहद नाद सा गुंजित हो एक अप्रितम आनन्द की अनुभूति करवा रहा है | आध्यात्मिकता के चरम को छूती और प्रत्यभिज्ञा- दर्शन को भली भांति परिभाषित करती रचना सराहना से कहीं परे है | रचना की प्रारम्भिक पंक्तियाँ शक्तिहीन , शववत शिव के साथ निशब्द सृष्टि के प्रलयकाल का जीवंत चित्र प्रस्तुत करती हैं |हार्दिक शुभकामनायें इस अद्भुत सृजन के लिए !!!!!
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार आपका।
Deleteचेतन शक्ति निष्प्राण सुप्त था.
ReplyDeleteशक्ति हीन शिव सोया शव था,
दिग्दिगंत निःशब्द नीरव था.
चक्र चरम था आरोहण का,
शिव और शक्ति के मिलन की पावन बेला पर बहुत ही लाजवाब रचना....अद्भुत शब्दविन्यास...
वाह!!!!
जी, अत्यंत आभार आपका।
Deleteअब निर्गुण संग सगुण होगा,
ReplyDeleteभक्ति में ज्ञान निपुण होगा.
रस ज्ञान में भक्ति घोलेगी,
नव सूत्र सृजन का खोलेगी.
अनहद में आहद कूजेगा,
त्रिक ताल तुरीय गूंजेगा..... बहुत सुंदर रचना
अति उत्तम सृजन के लिए हार्दिक बधाई सर।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार!!!!
Deleteअप्रतिम रचना
ReplyDeleteबधाई..
जी, अत्यंत आभार!!!
Deleteवाह
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन
अद्भुत महोदय
ReplyDeleteअब सुन लो डमरू शंकर की,
ReplyDeleteये है बारात प्रलयंकर की.
शिव ने शक्ति समेटी है,
अपनी जटा लपेटी है.
चित और आनंद मिलेंगे,
कैलाश में किसलय खिलेंगे.
सृष्टि का होगा स्पंदन,
कल्प नया, करो अभिनन्दन.
नव चेतन, चिन्मय गीत सुनो,
शिवरात्रि सुर संगीत सुनो.
संगीत का आनंद और आनंद का संगीत सराहना से परे 👌👌👌👌
शिवरात्री पर अद्भुत सृजन 👌👌
हार्दिक शुभकामनायें। रचना बार- बार पढ़ने और आत्मसात करने योग्य है 🙏🙏🙏५
आपके अत्यंत आह्लादक आशीष का आभार।
Deleteशिव-शक्ति के मिलन को समर्पित एक अविस्मरणीय सृजन,जिसे हर बार पढ़ना और आत्मसात करना अनिर्वचनीय आनन्द की अनुभूति करवाता है।रचना में निहित भावों को कोटि नमन और महाशिवरात्रि महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि की मंगल कामनाएं!!!
Deleteजग असत्य ,अनित्य और नश्वर ,
ReplyDeleteतू परमसत्य ,अनादि ,योगेश्वर !
ललाट सोहे अर्धचन्द्र नवल,
रूप अभिनव ,सर गंगधार धवल ,
त्रिलोकीनाथ, शिवा,करुणाकर,
कोटि नमन तुम्हें! भोले शंकर!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
अद्भुत!
Deleteवाह ! बहुत सुंदर 💕
ReplyDeleteजी, आभार। महाशिवरात्रि की मंगल कामनाएं!!!
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आभार।
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