Wednesday, 17 April 2019

अजगर - ए - ' आजम '

फड़फड़ा रहा है
फाड़कर
बीज, विषधर का।

भ्रूण,
कुसंस्कारों की
जहरीली सांपीन का।

ओढ़े 'अधोवस्त्र'
केंचुल का, निकला
संपोला।

फूलकर फैल गया है
फुंफकारता अब, काढ़े फन।
अजगर - ए - ' आजम '!

.......... ..........

श्श.. श्श... श्श....
सांप सूंघ रहा है
सर्प संप्रदाय को अब!

29 comments:

  1. मेरे आज़म को न तुम कुछ भी कहो,
    सांप्रदायिक ज़हर उसकी शान है

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    1. हा हा ... कोई पत्थर से न मारे मेरे दीवाने को! अत्यंत आभार!!!!

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  2. साँपों के बीच साँप

    सुन्दर।

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    1. वाह! सत्य-शोधन!अत्यंत आभार!!!

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  3. जी, अत्यंत आभार आपके आशीष का!!!

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  4. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 17/04/2019 की बुलेटिन, " मिडिल क्लास बोर नहीं होता - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  5. सच अद्भुत विचार दृष्टि।

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    1. जी, अत्यंत आभार आपका।

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  6. वाह बहुत खूब लिखा आपने 👌

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    1. जी, अत्यंत आभार आपका।

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  7. फड़फड़ा रहा है
    फाड़कर
    बीज, विषधर का।....बेहतरीन 👌
    सादर

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  8. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है। https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/04/118.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  9. वाह!!!!
    क्या बात है...
    बहुत लाजवाब।

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  10. बहुत खूब् करारा व्यंग मुँहजोर नेता के लिए!! जिनकी बेलगाम ज़ुबान शिष्टाचार और शालीनता छोड़, मर्यादा की सभी सीमाएं लांघ जाती हैं। पर ऐसे लोगों को कैसा डर? बदनाम होंगे तो क्या नाम ना होगा? इसी नीति पर चलते इनकी राजनीति तो चमक ही जाती है। सादर

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    1. जी, अत्यंत आभार आपकी सार्थक समीक्षा का!!!

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  11. करारा और सटीक
    बहुत सुंदर

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    1. जी, अत्यंत आभार आपका!

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  12. कुसंस्कार की प्रिवृति ऐसी ही है ...
    कई बार सांप खुद को भी निगल लेते हैं ... अपने अण्डों को ख़ास कर ...

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    1. सत्य वचन। अत्यंत आभार।

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  13. बहुत करार व्यंग ... अच्छी रचना

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    1. जी, अत्यंत आभार आपका।

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  14. बहुत सटीक व्यंग...

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    1. जी, अत्यंत आभार आपका।

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  15. बहुत सटिक व्यंग।

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    1. जी, अत्यंत आभार आपका।

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  16. आवश्यक सूचना :

    सभी गणमान्य पाठकों एवं रचनाकारों को सूचित करते हुए हमें अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि अक्षय गौरव ई -पत्रिका जनवरी -मार्च अंक का प्रकाशन हो चुका है। कृपया पत्रिका को डाउनलोड करने हेतु नीचे दिए गए लिंक पर जायें और अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँचाने हेतु लिंक शेयर करें ! सादर https://www.akshayagaurav.in/2019/05/january-march-2019.html

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  17. वाह सटीक, करारा व्यंग्य.

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  18. करार व्यंग विश्वमोहन जी

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