फड़फड़ा रहा है
फाड़कर
बीज, विषधर का।
भ्रूण,
कुसंस्कारों की
जहरीली सांपीन का।
ओढ़े 'अधोवस्त्र'
केंचुल का, निकला
संपोला।
फूलकर फैल गया है
फुंफकारता अब, काढ़े फन।
अजगर - ए - ' आजम '!
.......... ..........
श्श.. श्श... श्श....
सांप सूंघ रहा है
सर्प संप्रदाय को अब!
फाड़कर
बीज, विषधर का।
भ्रूण,
कुसंस्कारों की
जहरीली सांपीन का।
ओढ़े 'अधोवस्त्र'
केंचुल का, निकला
संपोला।
फूलकर फैल गया है
फुंफकारता अब, काढ़े फन।
अजगर - ए - ' आजम '!
.......... ..........
श्श.. श्श... श्श....
सांप सूंघ रहा है
सर्प संप्रदाय को अब!
मेरे आज़म को न तुम कुछ भी कहो,
ReplyDeleteसांप्रदायिक ज़हर उसकी शान है
हा हा ... कोई पत्थर से न मारे मेरे दीवाने को! अत्यंत आभार!!!!
Deleteसाँपों के बीच साँप
ReplyDeleteसुन्दर।
वाह! सत्य-शोधन!अत्यंत आभार!!!
Deleteजी, अत्यंत आभार आपके आशीष का!!!
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 17/04/2019 की बुलेटिन, " मिडिल क्लास बोर नहीं होता - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteसच अद्भुत विचार दृष्टि।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार आपका।
Deleteवाह बहुत खूब लिखा आपने 👌
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार आपका।
Deleteफड़फड़ा रहा है
ReplyDeleteफाड़कर
बीज, विषधर का।....बेहतरीन 👌
सादर
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है। https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/04/118.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह!!!!
ReplyDeleteक्या बात है...
बहुत लाजवाब।
बहुत खूब् करारा व्यंग मुँहजोर नेता के लिए!! जिनकी बेलगाम ज़ुबान शिष्टाचार और शालीनता छोड़, मर्यादा की सभी सीमाएं लांघ जाती हैं। पर ऐसे लोगों को कैसा डर? बदनाम होंगे तो क्या नाम ना होगा? इसी नीति पर चलते इनकी राजनीति तो चमक ही जाती है। सादर
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार आपकी सार्थक समीक्षा का!!!
Deleteकरारा और सटीक
ReplyDeleteबहुत सुंदर
जी, अत्यंत आभार आपका!
Deleteकुसंस्कार की प्रिवृति ऐसी ही है ...
ReplyDeleteकई बार सांप खुद को भी निगल लेते हैं ... अपने अण्डों को ख़ास कर ...
सत्य वचन। अत्यंत आभार।
Deleteबहुत करार व्यंग ... अच्छी रचना
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार आपका।
Deleteबहुत सटीक व्यंग...
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार आपका।
Deleteबहुत सटिक व्यंग।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार आपका।
Deleteआवश्यक सूचना :
ReplyDeleteसभी गणमान्य पाठकों एवं रचनाकारों को सूचित करते हुए हमें अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि अक्षय गौरव ई -पत्रिका जनवरी -मार्च अंक का प्रकाशन हो चुका है। कृपया पत्रिका को डाउनलोड करने हेतु नीचे दिए गए लिंक पर जायें और अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँचाने हेतु लिंक शेयर करें ! सादर https://www.akshayagaurav.in/2019/05/january-march-2019.html
बधाई और आभार।
Deleteवाह सटीक, करारा व्यंग्य.
ReplyDeleteकरार व्यंग विश्वमोहन जी
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