प्रवक्ता हूँ, सियासत का।
दंगों में हताहत का हाल
सूरते 'हलाल' बकता हूँ,
खबरनवीसों में।
पहले पूछता हूँ,
थोड़ी खैर उनकी।
दाँत निपोरकर!
सुनाई देती है,
खनकती आवाज,
ग़जरों की महक में मुस्काती
'एवंडी'...!
चालू होता हूँ मैं।
सुनिए 'जी'।
हालात हताहत की
'आज तक'।
अंसारी नगर के राम सिंह
अस्पताल में मृत घोषित किये गए हैं।
...
आज प्रेस ब्रीफिंग का दूसरा दिन।
मरने वालों की संख्या दो हुई।
खबरभंजकों ने आवाज उठाई।
पहले वाले की सूचना
व्यक्ति वाचक,
और अब
संख्या वाचक!
मैं समझाता हूँ।
देखो 'जी'!
लाशों की शुरुआत
'संज्ञा' से होकर
'विशेषण' पर खतम होती है।
मतलब
'नागरिकता' मिलती है
पहले को ही।
फिर तो ,
गिनती शुरू होती है!
............
ऐसा क्यों?
पूछती है
'सनसनी' -सी एक आवाज।
मैं देता हूँ हवाला
अपने बचपन के गाँव का।
अनाज तौलने का।
राम, दो, तीन, चार..!
मतलब
नागरिकता होती है,
केवल पहले लाश की।
बाकी तो मात्र अंक हैं।
फौरन समझ आ जाता है उन्हें,
'आधार कार्ड संख्या' का दर्शन।
और वे बड़बड़ाने लगते हैं
लाश, नागरिकता...
....….लाश, ना गिरि..
..लाश...नाग... लाश ना....ला...!
दंगों में हताहत का हाल
सूरते 'हलाल' बकता हूँ,
खबरनवीसों में।
पहले पूछता हूँ,
थोड़ी खैर उनकी।
दाँत निपोरकर!
सुनाई देती है,
खनकती आवाज,
ग़जरों की महक में मुस्काती
'एवंडी'...!
चालू होता हूँ मैं।
सुनिए 'जी'।
हालात हताहत की
'आज तक'।
अंसारी नगर के राम सिंह
अस्पताल में मृत घोषित किये गए हैं।
...
आज प्रेस ब्रीफिंग का दूसरा दिन।
मरने वालों की संख्या दो हुई।
खबरभंजकों ने आवाज उठाई।
पहले वाले की सूचना
व्यक्ति वाचक,
और अब
संख्या वाचक!
मैं समझाता हूँ।
देखो 'जी'!
लाशों की शुरुआत
'संज्ञा' से होकर
'विशेषण' पर खतम होती है।
मतलब
'नागरिकता' मिलती है
पहले को ही।
फिर तो ,
गिनती शुरू होती है!
............
ऐसा क्यों?
पूछती है
'सनसनी' -सी एक आवाज।
मैं देता हूँ हवाला
अपने बचपन के गाँव का।
अनाज तौलने का।
राम, दो, तीन, चार..!
मतलब
नागरिकता होती है,
केवल पहले लाश की।
बाकी तो मात्र अंक हैं।
फौरन समझ आ जाता है उन्हें,
'आधार कार्ड संख्या' का दर्शन।
और वे बड़बड़ाने लगते हैं
लाश, नागरिकता...
....….लाश, ना गिरि..
..लाश...नाग... लाश ना....ला...!
कुछ जिन्दा लाशों के हाथों बागडोर हो चले तो लाशें यूँ ही गिरें फिर चलें।
ReplyDeleteयह लाशों का उल्लास है😀 अत्यंत आभार!
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 27 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार अप्पके आशीष का।
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteअत्यंत आभार।
Deleteआज प्रेस ब्रीफिंग का दूसरा दिन।
ReplyDeleteमरने वालों की संख्या दो हुई।
खबरभंजकों ने आवाज उठाई।
पहले वाले की सूचना
व्यक्ति वाचक,
और अब
संख्या वाचक!
बहुत खूब....सटीक....
नागरिकता होती है,
केवल पहले लाश की।
बाकी तो मात्र अंक हैं।
अद्भुत एवं विचारणीय भावाभिव्यक्ति
वाह!!!
आपकी टिप्पणी सर्वदा उत्साहवर्द्धन से परिपूर्ण रहती है। आभार।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (28-02-2020) को धर्म -मज़हब का मरम (चर्चाअंक -3625 ) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
आँचल पाण्डेय
जी, अत्यंत आभार आपकी सदाशयता का।
Deleteसमसामयिक सार्थक सृजन आदरणीय विश्वमोहन जी। दंगों से लुटे--पिटे लोगों की लाशों पर सियासत का तमाशा करने वाले ये कथित सियासती प्रवक्ता इसे अलावा कर भी क्या सकते हैं ??
ReplyDeleteआखिर इसी से राजनैतिक मुद्दे गर्म होते है और चुनावी रोटियां सिकती हैं! सनसनी के भूखे मीडिया का साथ सोने पे सुहागा हो जाता है। सच कहूँ तो ये देश में फैली अराजकता पर कवि का आक्रांत स्वर है , जिसे रचना के रूप मे सार्थक, सशक्त अभिव्यक्ति मिली है। हार्दिक शुभकामनायें 🙏🙏🙏
आपकी इस अत्यंत सारगर्भित टिप्पणी का सादर आभार।
Deleteसामयिक और सार्थक सृजन विश्वमोहन जी । सच ही है ,कहीं भी हादसों में मरने वालों की पहचान गिनती में ही होती है ..और ये सियासतदार यहाँ भी अपनी वोटों की राजनीति करनें से चूकते नहीं ..किसी के मरने -जीने से उन्हें कोई फर्क नहीं पडता ..दिखावे के लिए जाएंगे वहाँ ,जान के बदले कुछ पैसे पकडाएगे बस हो गया ..।
ReplyDeleteबहुत आभार आपकी इस संवेदनशील टिप्पणी का।
Deleteलाश, नागरिकता...
ReplyDelete....….लाश, ना गिरि..
..लाश...नाग... लाश ना....ला...! कहकर आपने बड़े सलीके से पूरे मीडिया के नंगे सच को समेट लिया विश्वमोहन जी ... मौजूदा समय की बेहद सटीक रचना ...
वाह! आपकी समीक्षा ने मन जीत लिया।😀
Deleteसमसामयिक विषय पर सार्थक रचना।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
आभार हृदयतल से।
Delete
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 4 मार्च 2020 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जी, बहुत आभार।
Deleteआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर( 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-१ हेतु नामित की गयी है। )
ReplyDelete'बुधवार' ०४ मार्च २०२० को साप्ताहिक 'बुधवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'बुधवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'
आभार एवं शुभकामनायें!!!!
Deleteसमसामयिक, सार्थक,संदेशात्मक।
ReplyDeleteसराहनीय।
सादर।
आभार।
Deleteकड़वी सच्चाई बयान करती सुंदर रचना।
ReplyDeleteजी, बहुत आभार आपके आशीष का।
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Deleteप्रभावी ... एक कड़वी सच्चाई को लिखा है आपने ...
ReplyDeleteसमाज मीडिया और आम हालात यही हैं आज के ... कमाल की रचना ..
जी, अत्यंत आभार आपका।
Deleteबहुत सुंदर सृजन
ReplyDeleteसादर
पढ़ें- कोरोना
जी, अत्यंत आभार।
Deleteआदरणीया/आदरणीय आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर( 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-१ हेतु इस माह की चुनी गईं नौ श्रेष्ठ रचनाओं के अंतर्गत नामित की गयी है। )
ReplyDelete'बुधवार' २५ मार्च २०२० को साप्ताहिक 'बुधवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य"
https://loktantrasanvad.blogspot.com/2020/03/blog-post_25.html
https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'बुधवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'
बहुत आभार।
Delete'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-१ का परिणाम घोषित।
ReplyDeleteपरिणाम
( नाम सुविधानुसार व्यवस्थित किये गये हैं। )
१. लाश की नागरिकता / विश्व मोहन
२ . सर्वोपरि / रोहितास घोड़ेला
३. एक और तमस / गोपेश मोहन जैसवाल
४. हायकु /सुधा देवरानी ( श्रेष्ठ रचना टिप्पणियों की संख्या के आधार पर )
५. एक व्यंग्य : तालाब--मेढक---- मछलियाँ /आनंद पाठक ( रचना की उत्कृष्टता के आधार पर )
नोट: प्रथम श्रेणी में रचनाओं की उत्कृष्टता के आधार पर दो रचनाएं चुनी गयीं हैं। इन सभी रचनाकारों को लोकतंत्र संवाद मंच की ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं। आप सभी रचनाकारों को पुरस्कार स्वरूप पुस्तक साधारण डाक द्वारा शीघ्र-अतिशीघ्र प्रेषित कर दी जाएंगी। अतः पुरस्कार हेतु चयनित रचनाकार अपने डाक का पता पिनकोड सहित हमें निम्न पते (dhruvsinghvns@gmail.com) ईमेल आईडी पर प्रेषित करें! अन्य रचनाकार निराश न हों और साहित्य-धर्म को निरंतर आगे बढ़ाते रहें। हम आज से इस पुरस्कार योजना के अगले चरण यानी कि 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-२ में प्रवेश कर रहे हैं। जो आज दिनांक ०१ /०४ /२०२० (बुधवार) से प्रभावी होगा। विस्तृत सूचना हेतु दिये गये लिंक पर जाएं! सादर
https://loktantrasanvad.blogspot.com/2020/04/blog-post.html?spref=fb&fbclid=IwAR0-lgJa6aT8SspHX1Ew6jo-nfUg9GleZcXuOdv-BHBfnV62sq5nQL3bJOo
https://loktantrasanvad.blogspot.in/
बहुत सुंदर। इन समस्त चयनित रचनाओं में व्यक्त उदात्त भावनाओं को रेखांकित करने के लिए संवाद मंच के साहित्यिक हस्ताक्षरों को हृदय से आभार। मंच के चिरंजीवी होने की अशेष शुभकामनायें!!!
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