आदरणीय अपर्णा जी एक जानी-मानी ब्लॉगर हैं। साहित्य सेवा के साथ-साथ समाज-सेवा भी उनके जीवन का महत यज्ञ है जिसे पूरी तन्मयता से मनसा, वचसा और कर्मणा वह झारखंड राज्य के सुदूर आदिवासी इलाक़ों में सम्पादित कर रही हैं। ‘एकजुट’, ‘सहभागी शिक्षण केंद्र’, ‘पेस’, ‘AID’ इत्यादि सामाजिक संस्थाओं के साथ माता,शिशु, किशोरी और महिलाओं के स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता और लैंगिक अधिकारों के लिए कार्य करते हुए वर्तमान में स्वतंत्र प्रशिक्षक और सामाजिक अनुसंधानकर्ता के रूप में झारखंड और निकटवर्ती राज्यों में चल रही कुछ परियोजनाओं में वह अहर्निश संलग्न हैं । बच्चों के व्यक्तित्व में चारित्रिक और नैतिक पक्ष को विकसीत करने और उन्हें अपनी माटी के सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ने के लियी अपर्णा जी ने अपने यू- ट्यूब चैनल ‘इंद्रधनुषी दुनिया’ माध्यम से एक अत्यंत महत्वपूर्ण अभियान चलाया है। बच्चों को सरल और सरस माध्यम से शिक्षित करने में उनका यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है और समाज के सभी शिक्षित जनों के सहयोग की अपेक्षा भी रखता है। उसी क्रम में बच्चों के लिए उनके द्वारा प्रस्तुत मेरी यह कविता आपके सामने है।
एक बात और बता दूँ कि अपर्णा जी ने मुझसे आग्रह किया कि सीखने वाले बच्चों को ध्यान में रखते हुए तत्सम शब्दों का प्रयोग कम करें। मेरा यही उत्तर था कि सीखने वाले के लिए सभी शब्द नए और एक समान होते हैं। यह कठिनाई सीख चुके और बड़े- पढ़े लोगों के साथ है। एक कहावत भी है, ‘बूढ़ा सुग्गा पोष नहीं मानता’।
उपयोगी आलेख।
ReplyDelete"बूढ़े तोते तो ब्लॉगिंग भी सीख गये हैं अब"
जी, सीख ही नहीं बल्कि शीर्ष पर विराजमान है😀😀🙏🙏🙏किन्तु, यह एक अपवाद वाली प्रक्रिया है।
Deleteबहुत बढ़िया बालकविता लिखी आपने विश्वमोहन जी,बच्चे जानवरो और पक्षियों के नाम के साथ उनकी बोली भी सीखेंगे..अनूठा प्रयास है आपका..
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteबहुत सुंदर,
ReplyDeleteहमारा प्रयास रंग लाये, बच्चों के लिए हम कुछ रचनात्मक कर सकें, इस प्रयास में आप का साथ बना रहे और मार्गदर्शन यूं ही मिलता रहे।
ब्लॉग पर साझा करने के लिए आप का सादर आभार। हमारे और भी साथी इस प्रयास में साथ आना चाहें तो उनका स्वागत है।
मेरे mail id पर सम्पर्क कर सकते हैं।
bajpaiaparna2016@gmail.com
ईश्वर आपके इस सुंदर काम में सफलता के चार चाँद लगाए। चरैवेति! चरैवेति!!🙏🙏🙏
Deleteआदरणीया अपर्णा जी की पहल को नमन। कुछ रचनाओं से मैं भी रूबरू हो चुका हूँ, वे अत्यंत ही प्रभावशाली हैं। मुझे गर्व है कि एक साझा पुस्तक परियोजना में मैं भी उनसे जुड़ पाया था।
ReplyDeleteआदरणीय विश्वमोहन जी के इस प्रयास को हमारा नमन। इसी प्रकार नई प्रतिभाओं व रचनाकारों को प्रेरित करते रहें, ताकि हमारी राष्ट्रभाषा समुन्नत होता रहे।
जी, अत्यंत आभार आपके इन आशीर्वचनों और उदात्त भावना का!!! बस यूं ही आशीष मिलता रहे।🙏🙏
Deleteबाल संस्कार की दिशा में सुंदर प्रेरक प्रस्तुति |
ReplyDeleteजी, आभार।
Deleteजी, अत्यंत आभार।
ReplyDeleteवाह! बहुत अच्छा कदम अपर्णा मैम! ढेर सारी बधाई सर 🙏🙏🙏
ReplyDeleteकृपया हमारे ब्लॉग पर भी आइए और अपनी राय व्यक्त कीजिए 🙏
जी अवश्य! अत्यंत आभार आपका!!!
DeleteGreat job 👌👌👌🙏🙏
ReplyDeleteजी, आभार!!
Deleteबढ़िया बालकविता लिखी आपने
ReplyDeleteजी, आभार।
Deleteसुंदर प्रेरक प्रस्तुति के साथ बढियाँ सोच कि बुढा तोता...
ReplyDeleteआभार
हा हा हा....बहुत आभार आपकी दृष्टि का!!!
Deleteसुग्गा को तोता लिख दी..😐
ReplyDeleteएक ही बात है😀😀😀
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