Sunday, 30 October 2022

क्षिति, जल, पावक, गगन, समीर

आज फिर थाम लिया है माँ ने,
छोटी सी सुपली में,
समूची प्रकृति को।
सृष्टि-थाल में दमकता पुरुष,
ऊंघता- सा, गिरने को,
तंद्रिल से क्षितिज पर पच्छिम के,
लोक लिया है लावण्यमयी ने,
अपने आँचल में।
हवा पर तैरती
उसकी लोरियों में उतरता,
अस्ताचल शिशु।
आतुर मूँदने को अपनी
लाल-लाल बुझी आँखें।
रात भर सोता रहेगा,
गोदी में उसके।
हाथी और कलशे से सजी
कोशी पर जलते दिए,
गन्ने के पत्तों के चंदवे,
और माँ के आंचल से झांकता,
रवि शिशु, ऊपर आसमान की ओर।
झलमलाते दीयों की रोशनी में,
आतुर उकेरने को अपनी किरणें।
तभी उषा की आहट में,
माँ के कंठों से फूटा स्वर,
'केलवा के पात पर'।
आकंठ जल में डूबी
उसने उतार दिया है,
हौले से छौने को
झिलमिल पानी में।
उसने अपने आँचल में बँधी
सृष्टि को खोला क्या!
पसर गया अपनी लालिमा में,
यह नटखट बालक पूर्ववत।
और जुट गया तैयारी में,
अपनी अस्ताचल यात्रा के।
सब एक जुट हो गए फिर
अर्घ्य की उस सुपली में
"क्षिति जल पावक गगन समीर।"


40 comments:

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    1. जी, अत्यंत आभार। छठ व्रत की शुभकामनाएं🌹🌹🌹

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  2. जी, अत्यंत आभार। छठ व्रत की शुभकामनाएं🌹🌹🌹

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    1. जी, अत्यंत आभार। छठ व्रत की शुभकामनाएं🌹🌹🌹

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  4. बहुत बहुत सुन्दर मन मोहक रचना

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    1. जी, अत्यंत आभार। छठ व्रत की शुभकामनाएं🌹🌹🌹

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  5. वाह बहुत ही उम्दा

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    1. जी, अत्यंत आभार। छठ व्रत की शुभकामनाएं🌹🌹🌹

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  6. वाह! कितने सुंदर प्रतीकों के माध्यम से काव्य की सरिता बहायी है आपने, बधाई!

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    1. जी, अत्यंत आभार। छठ व्रत की शुभकामनाएं🌹🌹🌹

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  7. Fascinating imagery. The might and the brilliance of sun pales in comparison to a mother`s lap where it seeks solace and sanctuary.

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  8. सुंदर सृजन

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    1. जी, अत्यंत आभार। छठ व्रत की शुभकामनाएं🌹🌹🌹

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  10. छठ माता की महिमा से सज्जित, और प्रकृति के छवि का निरूपण करती सुंदर रचना । छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐💐

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    1. जी, अत्यंत आभार। छठ व्रत की शुभकामनाएं🌹🌹🌹

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  11. हमारे प्रकृति प्रेमी ऋषि मुनियों ने सदैव ही अपने गहन विवेचन- चिन्तन से जनमानस को प्रकृति के सानिध्य में रहते हुए उसकी पूजा-आराधना के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने स्वयं भी उसी की छाया में जीवनयापन कर उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्हीं की प्रेरणा से सम्भवतः छठ पर्व सरीखे पर्व अस्तित्व में आए। उगते सूर्य के साथ डूबते दिवाकर को अर्घ्य देकर जीवन के विराट संस्कार की स्थापना की गईं है। आपकी रचना में प्रकृति की आराधना का भावपूर्ण चित्र समाहित है। अपनी संस्कृति को नवजीवन प्रदान करता ये त्यौहार प्रकृति के उल्लास का पर्व है। इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार। छठ पर्व पर आपको सपरिवार शुभकामनाएं और बधाई 🙏🙏

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  12. प्रकृति और सृजन ही जीवन में सतत है और दोनों में विशिष्ट या अगर सत्य कहूँ तो केवल और केवल माँ ही है ... अनूठे शब्दों को गहरा विस्तार देता कवि भी तो एक माँ का रूप ही होता है ... पर्व, त्यौहार, प्राकृति सब इसी से हैं ...
    बहुत कमाल के भाव ... लाजवाब रचना ...

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  13. शुभकामनाओं के संग बधाई

    उम्दा लेखन

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  14. बहुत सुंदर सृजन । छठ की शुभकामनाएँ ।

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  15. बहुत खूबसूरत रचना
    छठ पर्व पर असीम शुभकामनाएं

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  16. प्रकृति से जुड़े हुए छठ पर्व की महिमा का सुन्दर और मनोहारी वर्णन !
    छठ पर्व की आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई !

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  17. आज फिर थाम लिया है माँ ने,
    छोटी सी सुपली में,
    समूची प्रकृति को।
    माँ की सुपली में समूची प्रकृति
    वाह!!!
    निशब्द करती पहली ही पंक्तियाँ !!
    बहुत ही सारगर्भित मनोहारी छट की छटा सी अप्रतिम कृति🙏🙏

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  18. छठ महापर्व में पहले डूबते फिर उगते सूर्य को और साथ ही नदी किनारे का परिदृश्य देख लेखक की लेखनी मचल उठती है कुछ लिखने को। उसी को आपने बड़े ही सुंदर शब्दों में पिरोया है!!
    लाजवाब!!

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  19. आदरणीय सर, सादर चरण-स्पर्श । आपके इस ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ । मेरी रचनाओं को आपका आशीष नियमित रूप से मिलता रहा है परंतु मैं सद्य नहीं आ पाती । अब पुनः नियमित होने का प्रयास कर रही हूँ । आपकी इस अति सुंदर रचना के लिए क्या कहूँ, शब्द नहीं सूझ रहे । आपकी कोई भी नई कविता पढ़ती हूँ तो वो मेरी प्रिय कविताओं की सूची में शामिल हो जाती है । सच, छठ पर्व की सुंदरता और पवित्रता को समेटी यह रचना मन आनंदित कर रही है । छठ जितना माँ प्रकृति को समर्पित एक आध्यात्मिक पर्व है, उतना ही मातृशक्ति को भी समर्पित है । छठ का कठिन व्रत को कर के अपने भीतर सभी पंच-तत्वों को समाने की क्षमता एक माँ ही रख सकती है । पुनः प्रणाम आपको और अत्यंत आभार । एक अनुरोध भी है, मैं ने एक नया ब्लॉग आरंभ किया है, चल मेरी डायरी, उसपर दो लेख लिखे हैं। कृपया उन्हें आ कर पढ़ें और अपना आशीष दें । यह ब्लॉग मेरी कृतज्ञता डायरी का हिस्सा है ।

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    1. जी, बहुत आभार। घूम कर आ गया, आपके ब्लॉग से, अनंता। बहुत सुंदर।🌹🌹🌹

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  20. भावपूर्ण अप्रतिम सृजन

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  21. छट माँ को समर्पित भाव ... जैसे एक शांत मुद्रा में स्वयं को भ्रम में लीन होते भाव ...
    नमन है आपकी कलम को ...

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