Friday, 30 December 2022

काल प्रवाह

साल यूँ  ही जब जाना तुझको,

क्यों हर साल चले आते हो।

साल-दर-साल सरक-सरक कर,

बरस -बरस  बरसा जाते हो।


नया बरस बस कहने का है,

धारा बन जस बहने का है।

आज नया, कल बन पुराना

काल-प्रवाह में दहने का है।


मौसम की फिर वही रीत है,

और जीवन का वही गीत है।

अवनी आलिंगन अंबर के,

सूरज पट और धरती चित है।


गोधूलि  में धूल-धूसरित-सा,

तेजहीन हो रवि विसरित-सा।

औंधे मुँह  सागर में गिरता,

फिर तिमिर से जग यह घिरता।


अर्द्धरात्रि के अंधियारे में,

एक साल काल का डूबता।

क्षण में दूर क्षितिज से उसके,

नये साल का सूरज उगता।


समय अनादि और अनंत है,

यहाँ  तो बस भ्रम की गिनती है।

साल! बनो न नए पुराने,

तुमसे यह ख़ालिस विनती है।



🙏🙏

39 comments:

  1. दिगम्बर नासवा30 December 2022 at 17:30

    बहुत ख़ूब … नया पुराना साल भी हर साल होता है … २०२३ का स्वागत फिर भी होता है …

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    1. जी, अत्यंत आभार।

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    2. नववर्ष मंगलमय हो सभी के लिए सपरिवार |

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  3. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 01 जनवरी 2023 को साझा की गयी है
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. साल यूँ ही जब जाना तुझको,
    क्यों हर साल चले आते हो।
    साल-दर-साल सरक-सरक कर,
    बरस -बरस बरसा जाते हो।///
    समय स्वयं को स्वछन्द एवम निर्बंध रख निरंतर गतिमान है।कैलेंडर बदलते हैं, समय इससे अंजान चल रहा है।सुन्दर प्रस्तुति जो शाश्वत जीवन दर्शन को उद्घाटित करती है।काफी समय बाद आपकी लेखनी चली।आशा है कि नववर्ष में आपकी नयी रचनाएँ आती रहेगी।नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई स्वीकार करें आदरनीय विश्वमोहन जी 🙏 🙏

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    1. जी, हार्दिक आभार और शुभकामनाएं!!!🌹🌹🌹

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  5. बहुत अच्छी प्रस्तुति ।

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    1. जी, हार्दिक आभार और शुभकामनाएं!!!🌹🌹🌹

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  6. अर्द्धरात्रि के अंधियारे में,
    एक साल काल का डूबता।
    क्षण में दूर क्षितिज से उसके,
    नये साल का सूरज उगता।
    नए का स्वागत करने की रीत भी है और प्रकृति का भी यही संदेश है। अति सुंदर रचना। नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ आदरणीय विश्वमोहनजी।

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    1. जी, हार्दिक आभार और शुभकामनाएं!!!🌹🌹🌹

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  7. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।सुंदर रचना संग नये साल का आगाज यू ही चलता रहे।
    सादर

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    1. जी, हार्दिक आभार और शुभकामनाएं!!!🌹🌹🌹

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  8. आपकी लिखी रचना सोमवार 2 जनवरी 2023 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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    1. जी, हार्दिक आभार और शुभकामनाएं!!!🌹🌹🌹

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  9. वाह!बहुत खूबसूरत सृजन विश्व मोहन जी ।नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ. ।

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    1. जी, हार्दिक आभार और शुभकामनाएं!!!🌹🌹🌹

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  10. सार यही है....समय अनादि और अनंत। हमारा जीवन बस क्षण मात्र।
    सुंदर रचना।

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    1. जी, हार्दिक आभार और शुभकामनाएं!!!🌹🌹🌹

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  11. बहुत खूब. असल में दिन और साल को हमीं बनाते हैं नया पुराना.

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    1. जी, हार्दिक आभार और शुभकामनाएं!!!🌹🌹🌹

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  12. अत्यंत सारगर्भित सृजन।
    नववर्ष की शुभकामनाएँ।
    प्रणाम
    सादर।

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    1. जी, हार्दिक आभार और शुभकामनाएं!!!🌹🌹🌹

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  13. अर्द्धरात्रि के अंधियारे में,
    एक साल काल का डूबता।
    क्षण में दूर क्षितिज से उसके,
    नये साल का सूरज उगता।
    एक जाता तो दूसरा आता... यही है जीवन भी...आज नयख कल पुराना। आज सत्कार कल तिरस्कार ।
    लाजवाब सृजन।
    नववर्ष की अनंत शुभकामनाएं ।

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    1. जी, हार्दिक आभार और शुभकामनाएं!!!🌹🌹🌹

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  14. समय अनादि और अनंत है,
    यहाँ तो बस भ्रम की गिनती है।
    साल! बनो न नए पुराने,
    तुमसे यह ख़ालिस विनती है।
    ... समय तो बीतता ही है, बीता समय जैसा भी था, आगे आने वाला अच्छा बीते यही अभिलाषा होती है, सुंदर,सार्थक रचना। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!

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    1. जी, हार्दिक आभार और शुभकामनाएं!!!🌹🌹🌹

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  15. कुछ भी नहीं बदला
    एक वर्ष उम्र बढ़ी
    सादर

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    1. जी, बिलकुल सही। हार्दिक आभार और शुभकामनाएं!!!🌹🌹🌹

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  16. सुंदर सार्थक रचना ।
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ll

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    1. जी, हार्दिक आभार और शुभकामनाएं!!!🌹🌹🌹

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  17. सारगर्भित सुंदर रचना

    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं 💐🎉

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