जीवन
घट में कुसुमाकर
ने,
रस घोला
है फिर चेतन का।
शरमायी सुरमायी कली में,
शोभे आभा
नवयौवन का।
डाल-डाल
पर नवल राग में,
पवन मदिरा मृदु प्रकम्पन।
अठखेली लतिका ललना की,
तरु-किशोर का नेह-निमंत्रण।
पत्र दलों की नुपुर-ध्वनि सुन,
वनिता खोले घन
केश-पाश।
उल्लसित पादप-पुंज वसंत में,
नभ तैरे उर का उच्छवास।
मिलिन्द उन्मत्त, मकरन्द मिलन में,
मलयज बयार, मदमस्त मदन में।
चतुर चितेरा, चंचल चितवन में,
कसके हुक वक्ष-स्पन्दन
में।
प्रणय पाग
की घुली भंग,
रंजित पराग पुंकेसर रंग।
मुग्ध मदहोश सौन्दर्य-सुधा,
रासे प्रकृति पुरुष संग।
पपीहे
की प्यासी पुकार में,
चिर संचित
अनुराग अनंत है।
सृष्टि का यह
चेतन क्षण है,
आली! झूमो आया वसंत है।
विश्वमोहन
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ReplyDeleteNITU THAKUR
Owner
+2
वाह !!! बहुत खूब
शानदार रचना
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Jan 30, 2018
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Meena Gulyani
+2
khoobsurat rachna
Jan 30, 2018
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Vishwa Mohan
+1
+Nitu Thakur आपके आशीष का आभार!!!
Jan 30, 2018
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Vishwa Mohan
+1
+Meena Gulyani आपके आशीष का आभार!!!
Jan 30, 2018
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Meena Gulyani
welcome
Kusum Kothari's profile photo
ReplyDeleteKusum Kothari
Moderator
+1
सुंदर अलंकारों और सुंदर शब्द विन्यास से सुसज्जित सुंदर श्रृंगार रचना।
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Jan 30, 2018
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Vishwa Mohan
+1
+Kusum Kothari आपके आशीष का आभार!!!
Jan 30, 2018
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anchal pandey
+1
वाह बहुत सुंदर 👌
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Jan 30, 2018
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Vishwa Mohan
+1
+anchal pandey आभार आपके आशीष का!
बहुत सुन्दर विश्वमोहन जी ! आप तो वसंत वर्णन करते समय पद्माकर और देव के शिष्य लगते हैं.
ReplyDeleteआपके आशीष ने मन को और वासंती बना दिया.
Deleteअद्भुत आदरणीय।।। बेहतरीन सृजन
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार आपका!!!
Deleteमुग्ध होना है। मुदित होना है। प्रबुद्ध होना है या शुद्ध होना है तो आपसे बड़ी बगिया नहीं आपसे बड़ी पाठशाला नहीं। ज़िंदाबाद कविवर
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार आपका!!!
Deleteवाह आदरणीय सर मंत्रमुग्ध करती सुंदर रचना
ReplyDeleteसादर नमन
जी, अत्यंत आभार आपका!!!
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ReplyDeleteपपीहे की प्यासी पुकार में,
चिर संचित अनुराग अनंत है/
सृष्टि का यह चेतन क्षण है,
अलि! झूमो आया वसंत है //
छायावादी कवियों सी काव्य छटा लिए सुंदर सलोनी रचना | शुभकामनायें आदरणीय कविवर !!!!
जी, अत्यंत आभार आपका।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
२५ मार्च २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
जी, अत्यंत आभार हृदय - तल से।
Deleteडाल डाल पर नवल राग में,
Deleteपवन मदिरा मृदु प्रकम्पन/
अठखेली लतिका ललना की,
तरु किशोर का नेह निमंत्रण //
बहुत ही लाजवाब रचना...वसंत सी मनभावनी....
वाह!!!!
जी, अत्यंत आभार।
Deleteवाह
ReplyDeleteजी, आभार।
Deleteबहुत बहुत सुन्दर सरस रचना
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deletewithholding tax nigeria
ReplyDeleteआभार।
Deleteprojection on glass
ReplyDeleteआभार।
Deleteबसंत पर अदभुत, उत्कृष्ट सृजन ।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
DeleteJude hmare sath apni kavita ko online profile bnake logo ke beech share kre
ReplyDeletePub Dials aur agr aap book publish krana chahte hai aaj hi hmare publishing consultant se baat krein Online Book Publishers
जी, अत्यंत आभार।
Deleteसुन्दर श्रृंगारिक रचना
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार!!!
Deleteमिलिन्द उन्मत्त, मकरन्द मिलन में,
ReplyDeleteमलयज बयार, मदमस्त मदन में।
चतुर चितेरा, चंचल चितवन में,
कसके हुक वक्ष-स्पन्दन में।
अनुप्रास से सुसज्जित मधुर रचना।अच्छा लगा इसे एक बार फिर से पढ़कर !!🙏🙏
जी, हार्दिक आभार!!!
DeleteThank you very much for this useful article.streetwearcart I like it.
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार!!!
DeleteThanks for the blog loaded with so much information.https://cargopantsmaker.com/ Stopping by your blog helped me to get what I was looking for.
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
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