भोर भोरैया, रोये रे चिरैया
बीत गयी रैना, आये न सैंया
सौतन बैरन, मंत्र वशीकरण
फँस गये बालम, का करुँ दैया
बिरह के अँगरा, जिअरा जरा जरा
फुदके चिरैया, असरा के छैंया
कलपे पपीहरा, चकवा चकैया
अँसुअन की धार, भरे ताल तलैया
दहे दृग अंजन, काल कवलैया
भटकी मोरी नैया, कोई न खेवैया
भटकी मोरी नैया, कोई न खेवैया
हूक धुक छतिया, मसक गयी अंगिया
कसक कसक उठे, चिहुँके चिरैया
भोर भोरैया, रोये रे चिरैया
बीत गयी रैना, आये न सैंया
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ReplyDeleteMeena Gulyani
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nice geet
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Indira Gupta
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👌👌👌👌
लोक भाषा छंद भरी
छलके ज्यू गगरिया
शब्द शब्द विरह रस
वाह रे लिखैय्या !
लाजवाब रचना मन को भा गई कविराज
विश्व मोहन जी नमन
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anchal pandey
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वाह लोक भाषा की मिठास लिए बेहद खूबसूरत विरह रचना
बेहद उम्दा
सादर नमन शुभ दिवस🙇
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Vishwa Mohan
+Meena Gulyani आभार!!!
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Vishwa Mohan
+Indira Gupta आभार!!!
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Vishwa Mohan
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+anchal pandey आभार!!!
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Meena Gulyani
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welcome ji
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NITU THAKUR
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Shandar Kavita.... khoobsurat shabd aur apratim bhav
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Vishwa Mohan
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+NITU THAKUR आभार!!!!
सौतन बैरन, मंत्र वशीकरण
ReplyDeleteफँस गये बालम, का करुँ दैया
लोकरंग में पगा नारी मन की वेदना का सटीक शब्दांकन | सादर
जी, हार्दिक आभार!!!
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