तू रामायण, मैं सीता,
तू उपनिषद, मैं गीता.
मैं अर्थ, तू शब्द,
तू वाचाल, मैं निःशब्द.
तू रूप, मैं छवि,
तू यज्ञ, मैं हवि.
मैं वस्त्र, तू तन
तू इन्द्रिय, मैं मन.
मैं त्वरण, तू गति
तू पुरुष, मैं प्रकृति.
तू पथ, मैं यात्रा
मैं ऊष्मा, तू मात्रा.
मैं काल, तू आकाश
तू सृष्टि, मैं लास.
मैं वस्त्र, तू तन
तू इन्द्रिय, मैं मन.
मैं त्वरण, तू गति
तू पुरुष, मैं प्रकृति.
तू पथ, मैं यात्रा
मैं ऊष्मा, तू मात्रा.
मैं काल, तू आकाश
तू सृष्टि, मैं लास.
मैं चेतना, तू अभिव्यक्ति,
तू शिव, मैं शक्ति.
तू रेखा, मैं बिंदु,
तू मार्तंड, मैं इंदु.
तू धूप, मैं छाया,
तू विश्व, मैं माया.
मैं दृष्टि, तू प्रकाश
मैं कामना, तू विलास.
तू आखर, मैं पीव
मैं आत्मा, तू जीव.
तू धूप, मैं छाया,
तू विश्व, मैं माया.
मैं दृष्टि, तू प्रकाश
मैं कामना, तू विलास.
तू आखर, मैं पीव
मैं आत्मा, तू जीव.
मैं द्रव्य, तू कौटिल्य,
मैं ममता, तू वात्सल्य.
तू जीवन, मैं दाव,
तू भाषा, मैं भाव.
तू जीवन, मैं दाव,
तू भाषा, मैं भाव.
मैं विचार, तू आचारी,
तू नर, मैं नारी.
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ReplyDeleteMeena Gulyani
+1
very nice
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Vishwa Mohan
आभार!!!
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NITU THAKUR
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निशब्द कर दिया आप की रचना ने... लाजवाब
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Vishwa Mohan
आभार!!!
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Meena Gulyani
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very nice
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ReplyDeletesweta sinha
+1
वाह्ह्ह....।आपके उच्च भाव और विचार के हम कायल है। आपकी ऐसी सोच हृदय से वंदनीय है।
बेहद सुंदर,सराहनीय काव्य रचना । नारी दिवस पर ऐसे विद्ववता और उदारवादी विचारों से गूँथे उपहार किसी भी नारी को प्रिय होगे।
आभार आपकआपका
सादर।
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Vishwa Mohan
+1
अत्यंत आभार आपके सुन्दर शब्दों के!!!
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sanjay sharma
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बहुत ही सुंदर कविता है धन्यवाद
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Vishwa Mohan
+sanjay sharma अत्यंत आभार आपके सुन्दर शब्दों के!!!
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ReplyDeleteIndira Gupta
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अद्वितीय ,अप्रतिम
शब्दो का सुंदर सामंजस्य
लफ्जो का सुंदर रूप
काव्य लिखा है कविवर
क्या छाँव क्या धूप।
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Vishwa Mohan
+Indira Gupta अत्यंत आभार आपके आशीष का!!!
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Alaknanda Singh
+1
तू रूप, मैं छवि,
तू यज्ञ, मैं हवि....आध्यात्मिक भाव के साथ एक अद्भुत रचना
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Vishwa Mohan
+Alaknanda Singh अत्यंत आभार आपके आशीष का!!!
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Kusum Kothari
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उच्च उपमाओं से सुसज्जित सुंदर रचना।
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Vishwa Mohan
+Kusum Kothari अत्यंत आभार आपके आशीष का!!!
अदभुत
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना सोमवार. 14 फरवरी 2022 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
जी, अत्यंत आभार!!!
Deleteअद्वितीय भाव अत्यंत प्रभावशाली अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteहर बार आपकी यह रचना नये विचारों से भर जाती है।
सादर प्रणाम।
जी, अत्यंत आभार और प्रणाम।
Deleteनर नारी एक दूसरे के पूरक...
ReplyDeleteयही है प्रेम और यही है प्रेम की पूर्ण परिभाषा
अद्भुत अप्रतिम एवं लाजवाब सृजन
🙏🙏🙏🙏
अर्धनारीश्वर।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार!!!
Deleteनर-नारी से ही सृष्टि में हर तरह का सृजन संभव है। दोनों का अस्तित्व एक दूसरे के बिना कुछ नहीं। अर्थात दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। साथी के अस्तित्व को बडी गरिमा और प्रेम से स्वीकारती रचना के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं 🙏🙏
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार!!!
Deleteअदभुत, प्रशंसा से परे... सादर नमस्कार आपको 🙏
ReplyDeleteअद्भुत सृजन आदरणीय।
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