मेरी उचाट आत्मा
भर नींद जागती रही.
सपनों में ही सही!
और ये बुद्धिमान मन
जागे जागे सोया रहा.
अहंकार फिर भी सजीव था!
एक रात की नींद में जगना
खोये में जागना
न हो के होना
अभाव में भाव
और मौन में संवाद,
जहां स्थूल से सूक्ष्म सरक जाता है!
दूसरा, दिन का सपना
जगे जगे खोना
हो के न होना
भाव में अभाव
और आलाप में मौन
जहां सूक्ष्म स्थूल में समा जाता है!
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ReplyDeleteIndira Gupta
Moderator
वाह
आध्यात्मिक भाव लिये रचना
स्व मै स्व को ही ढूंढ़ती और साक्षात्कार कराती रचना आत्मा का बोध कराती रचना !
नमन रचना
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Jul 25, 2017
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Vishwa Mohan
+Indira Gupta
शुक्रिया !!!
Jul 26, 2017
Kusum Kothari's profile photo
Kusum Kothari
+1
वाह सुंदर भाव!
जागे जागे सोना यानि भ्रांति तंद्रा
नीद मे सजग याने सम्यक दृष्टि
अद्भुत।
उच्च भाव लिये रचना सुंदर अतिसुन्दर।
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Jul 26, 2017
अमित जैन 'मौलिक''s profile photo
अमित जैन 'मौलिक'
Owner
+1
अहंकार फिर भी सजीव था!
अद्भुत अद्भुत। स्तरीय कैसे रचा जाता है। आपसे सीखना चाहिए। शुभ रात्रि।
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Jul 26, 2017
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Vishwa Mohan
अत्यंत आभार!!!
Aug 2, 2017
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Vishwa Mohan
वाह! हौसलाफजाई का नायाब अंदाज़! अत्यंत आभार, अमितजी।
Aug 2, 2017