Friday, 24 February 2017

पाथर कंकड़

लमहे-दर-लमहे, कहे अनकहे
फलित अफलित, घटित अघटित
सत्व-तमस, तत्व-रजस
छूये अनछूये,दहे ढ़हे
हद-अनहद, गरल वेदना का,
प्रेम तरल, सृष्टि-प्रवाह बन
बूँद-दर-बूँद,
गटकते रहे
नीलकंठ मैं !

अपलक नयन, योग शयन
गुच्छ-दर-गुच्छ विचारों की जटायें
लपेटती भावनाओं की भागीरथी
उठती गिरती, सृजन विसर्जन
चंचल लहरें घुलाती
चाँदनी की शांत मीठास
जगन्नाथ की ज्योत्स्ना
से जगमग
चन्द्रशेखर मैं !

स्थावर जंगम, तुच्छ विहंगम
कोमल कठोर, गोधूली भोर
साकार निराकार, शून्य विस्तार
अवनि अम्बर, श्वेताम्बर दिगम्बर 
ग्रह विग्रह, शाप अनुग्रह
प्रकृष्ट प्रचंड, प्रगल्भ अखंड
परिव्राजक संत, अनादि अनंत
पाथर कंकड़
शिवशंकर मैं !

















5 comments:

  1. Indira Gupta's profile photo
    Indira Gupta
    Moderator
    +1
    अप्रतिम अप्रतिम ...विश्व मोहन जी आपकी काव्य शैली और शब्दो का चयन ....लाज़वाब
    👏👏👏👏👏👏👏
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    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    आभार!!!
    51w
    NITU THAKUR's profile photo
    NITU THAKUR
    Owner
    +1
    बहुत खूबसूरत रचना
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    51w
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    +Nitu Thakur हार्दिक आभार!!!

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  2. Indira Gupta's profile photo
    Indira Gupta
    +1
    सुंदर सरस काव्य रचना ...👌👌👌👌
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    51w
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    आभार!!!
    51w
    Kusum Kothari's profile photo
    Kusum Kothari
    Moderator
    +1
    वाह!!
    जय जय भोले शिव शंकर
    हर पाथर हर कंकर। 🙏
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    51w
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    +Kusum Kothari आभार!!!

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  3. अमित जैन 'मौलिक''s profile photo
    अमित जैन 'मौलिक'
    Owner
    +1
    वाह वाह वाह।।। निशब्द हूँ। अद्भुत। नमन कविवर आपको।
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    Jul 24, 2017
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    आपका बहुत आभार!
    Jul 25, 2017
    Indira Gupta's profile photo
    Indira Gupta
    Moderator
    +1
    अद्भुत ,अनुपम ओघड बाबा शिव सी
    अहर्निश नाद करती सी रचना
    नमन विश्व मोहन जी
    अद्भुत शव्दो का चयन और गुँथन ...
    अप्रतिम मान्यवर अप्रतिम 🙏
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    Jul 25, 2017
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    +Indira Gupta आपका बहुत आभार!

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  4. स्थावर जंगम, तुच्छ विहंगम
    कोमल कठोर, गोधूली भोर
    साकार निराकार, शून्य विस्तार
    अवनि अम्बर, श्वेताम्बर दिगम्बर
    ग्रह विग्रह, शाप अनुग्रह
    प्रकृष्ट प्रचंड, प्रगल्भ अखंड
    परिव्राजक संत, अनादि अनंत
    पाथर कंकड़
    शिवशंकर मैं !
    👌👌👌👌👌🙏🙏🙏🙏🙏

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