ज़िन्दगी की कथा बांचते बाँचते, फिर! सो जाता हूँ। अकेले। भटकने को योनि दर योनि, अकेले। एकांत की तलाश में!
बहुत सुन्दर। साधुवाद।
जी, अत्यंत आभार आपका।
भावपूर्ण प्रस्तुति | सादर आभार
जी, अत्यंत आभार आपका!!!
बहुत ही सुंदर।
हार्दिक आभार।
आज पहली बार कार्यक्रम देखा |वास्बतव में बहुत ही सराहनीय है | एक बार देख कर मन नहीं भरा तो दूसरी बार फिर पूरा कार्य क्रम देखना पड़ा |
जी, बहुत आभार आपके प्रेरक शब्दों का।
बहुत सुन्दर। साधुवाद।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार आपका।
Deleteभावपूर्ण प्रस्तुति | सादर आभार
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार आपका!!!
Deleteबहुत ही सुंदर।
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteआज पहली बार कार्यक्रम देखा |वास्बतव में बहुत ही सराहनीय है | एक बार देख कर मन नहीं भरा तो दूसरी बार फिर पूरा कार्य क्रम देखना पड़ा |
ReplyDeleteजी, बहुत आभार आपके प्रेरक शब्दों का।
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