जटा जाह्नवी खाती बल है।
नंदीश्वर नीरज, निर्मल हैं।।
विषधर कंठ बने माला हैं।
ग्रीवा गिरीश गरल हाला है।।
विरुपाक्ष, तवस, हंत्र, हर।
विश्व, मृदा, पुष्पलोकन, पुष्कर।।
भक्त पुकारे मन डोले हैं।
अनिरुद्ध, अभदन, भोले हैं।।
ॐ कार की उमा काया हैं।
कल्पवृक्ष उनकी छाया हैं।।
पार कराते सागर भव से।
होते शिव, शक्ति बिन, शव-से।।
भाषा भुवनेश, भाव भवानी।
अर्द्धनारीश्वर औघड़ दानी।।
सती श्रद्धा, विश्वास हैं अंतक।
अर्हत, अत्रि, अनघ, परंतप।।
पशुपति की परा शक्ति है।
चित शक्ति प्रकट होती है।।
चित आनंद, आनंद से इच्छा।
इच्छा, प्रत्यक्ष ज्ञान की शिक्षा।।
चित से नाद, आनंद से बिंदु, इच्छा शक्ति बने ' म ' कार।
ज्ञान से ' उ ' , क्रिया से ' अ ', प्रादुर्भुत प्रणव ॐ कार।।
वाह लाजवाब सृजन
ReplyDelete
ReplyDelete🙏अद्भुत 🌷🌷
जी, अत्यंत आभार।
Deleteमहाकालेश्वर, महादेव की महिमा ! अद्भुत। विशेष कर शिव पुराण से ली हुई ॐ की उपज।🙏
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteजय महाकालेश्वर 🔱🔱
ReplyDeleteॐ नमः शिवाय । बहुत सुंदर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार!!!
Deleteबहुत खूबसूरत सृजन
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteवाह, खूबसूरत
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteबहुत ही सुन्दर स्तुति
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteआदरणीय सर, सादर प्रणाम। भगवान शिव एवं माँ पार्वती को समर्पित अत्यंत सुंदर स्तुति । आपकी इस कविता को पढ़ कर आपकी एक और कविता " परब्रम्ह माँ शक्ति सीता" (आपके द्वारा मेरी प्रिय रचना ) का स्मरण हो आया । भगवान और भगवती हर रूप में एक दूसरे के अंश और पूरक हैं । आपकी इस रचना ने भी मन को आनंदित कर दिया और भगवान शिव और माँ शक्ति की सुंदर छवि मन में ले आई । मैं कल से पुनः ब्लॉग जगत पर सक्रिय हुई हूँ । अपनी भी एक रचना डाली है , कृपया उसे अपना आशीष दीजिए । सादर चरण स्पर्श।
ReplyDeleteअत्यंत आभार। मां सरस्वती तुम्हारी लेखनी को गति और यश प्रदान करें।
Deleteभोले शंकर की महिमा का अद्भुत वर्णन ।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteचित से नाद, आनंद से बिंदु, इच्छा शक्ति बने ' म ' कार।
ReplyDeleteज्ञान से ' उ ' , क्रिया से ' अ ', प्रादुर्भुत प्रणव ॐ कार।।
ओंकार की महिमा का अद्भुत वर्णन !
जी, अत्यंत आभार!!!
Deleteआदिदेव भोलेनाथ के विराट और अव्यक्त स्वरुप की मोहक महिमा को शब्दों में में बाँधता भावपूर्ण सृजन आदरनीय विश्वमोहन जी।मानव के साथ-साथ निरीह प्राणियों को भी अभयदान देने वाले पशुपतिनाथ नीलकंठ महादेव को कोटि- कोटि प्रणाम है।इस अभिनव रचना के लिए बधाई और आभार 🙏🙏
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार!!!
Deleteकुछ भाव मेरे भी------
ReplyDeleteजग असत्य ,अनित्य और नश्वर ,
तू परमसत्य ,अनादि ,योगेश्वर !
ललाट सोहे अर्धचन्द्र नवल,
रूप अभिनव ,सर गंगधार धवल ,
त्रिलोकीनाथ, शिवा,करुणाकर,
कोटि नमन तुम्हें! भोले शंकर!!
🙏🙏🌹🙏🙏
जी, अत्यंत आभार!!!
Deleteपार कराते सागर भव से।
ReplyDeleteहोते शिव, शक्ति बिन, शव-से।।
भाषा भुवनेश, भाव भवानी।
अर्द्धनारीश्वर औघड़ दानी।।
शिव एवं शक्ति की उपासना में बहुत ही अद्भुत अप्रतिम लाजवाब सृजन।
वाह!!!
जी, अत्यंत आभार!!!
Deleteअनिर्वचनीय !!!
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार!!!
Deleteॐ नमः शिवाय
ReplyDeleteसुन्दर रचना
जी, अत्यंत आभार।
Deleteमहाशिवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं 🙏🙏
ReplyDeleteजी, आभार और शुभकामनाएं!
Delete