'शदूद'-ए-एहसास
'होने' का तुम्हारे
कर गया है घर
बन कर 'नूर'
आँखों मे मेरी
हुआ है 'इल्म' अब
इस वाकया का
और होने लगा है
एहसास
अपने 'वजूद' का!
'होने' का तुम्हारे
कर गया है घर
बन कर 'नूर'
आँखों मे मेरी
हुआ है 'इल्म' अब
इस वाकया का
और होने लगा है
एहसास
अपने 'वजूद' का!
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