Wednesday, 11 July 2018

चतुर्मास संग जीव प्रिये.



मै तथागत ठूंठ ज्ञान का,
आम्रपाली छतनार तू छाई.
बौद्ध वृक्ष मैं, मन मंजरी तू,
मन मकरंद मंद मंद महकायी.

सन्यासी मैं, शुष्क सरोवर,
साधक सत्य शोध समज्ञान.
सौन्दर्य श्रृंगार, हे सिन्धु धार!
प्रेम पीयूष पथ प्रवहमान.

मै मूढ़ मति मत्सर मरा,
तू प्रीत अक्षय यशोधरा.
मैं पथिक अथक संधान का,
तू पात पीपल ज्ञान का.

तू आसक्ति, मैं आकर्षण,
असहज असंजन लघु घर्षण.
हे प्रीत नुपुर नव राग क्वणन,
माया मदिरा मदमस्त स्त्रवण.

वाचाल वसंत चंचल स्वच्छंद,
मैं निर्वाक निश्छल निष्पंद.
पथिक ज्ञान पय पीव पीये,
बस चतुर्मास संग जीव प्रिये.

10 comments:

  1. anuradha chauhan's profile photo
    anuradha chauhan
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    बेहतरीन
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    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    +anuradha chauhan आभार!!!
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    Shubha Mehta's profile photo
    Shubha Mehta
    +1
    वाह!!लाजवाब!!
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    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    +Shubha Mehta आभार!!!
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    Renu's profile photo
    Renu
    +1
    लाजवाब सृजन | अनुप्रास के तो क्या कहने !!!!!सादर --
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    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    +Renu सादर आभार्र,!!!

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  2. NITU THAKUR's profile photo
    NITU THAKUR
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    खूबसूरत शब्द चयन ....लाजवाब रचना 👌👌👌
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    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    +1
    +NITU THAKUR सादर आभार्र, आपके सुन्दर शब्दों के!!!

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  3. सन्यासी मैं, शुष्क सरोवर,
    साधक सत्य शोध समज्ञान.
    सौन्दर्य श्रृंगार, हे सिन्धु धार!
    प्रेम पियूष पथ प्रवहमान.
    सराहना से परे सृजन !!!!!!!

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  4. निश्च्छल निश्छल
    प्रेम पियूष प्रेमपीयूष

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  5. मै मूढ़ मति मत्सर मरा,
    तू प्रीत अक्षय यशोधरा. ... अप्रतिम बिम्बों का संकलन ...

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  6. मै तथागत ठूंठ ज्ञान का,
    आम्रपाली छतनार तू छाई.
    बौद्ध वृक्ष मैं, मन मंजरी तू,
    मन मकरंद मंद मंद महकायी.
    अद्भुत!! अविस्मरणीय सृजन!!! 👌👌👌🙏🙏🙏

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