बादल ऊपर चढ़ आए।
मानों यक्षी की पाती का,
हर हर्फ वे पढ़ आए।
पर्वत बुत बन अड़े खड़े,
सड़कें सर्पीली लेटी हैं।
वायु शीतलता से सिहुरी,
ज्यों पर्जन्य की चेटी हैं।
बदरी भी छाकर छतरी,
छूती नीले अंबर को।
धोती अधोवस्त्रहीन वह,
देवदार दिगंबर को।
चीड़ ताने शंकु सी चूनर,
चिर यौवना बहकी है।
चमन चतुर्दिक चूँ-चूँ, चींचीं,
चिड़िया चकई चहकी है।
उनिंदी-सी सोई शांत चित्त,
सानासर की झील झिलमिल है।
नत्था टॉप से टिप टिप टीपती,
जलधाराओं की हिलमिल है।
पत्नी टॉप, ये हसीन वादियाँ!
हमदम मेरे! एतबार है।
हसरतों की हँसी खुशी का,
पावस का पहिलौटा प्यार है।
(पत्नीटॉप - जम्मू कश्मीर का एक रमणीक पर्वतीय स्थान।
नत्था टॉप - वहां की सबसे ऊंची पर्वत चोटी)
सानासर झील - नत्था टॉप से थोड़ी दूरी पर एक मनोरम झील!)
आपकी लिखी रचना सोमवार 20 जून 2022 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
बहुत खूबसूरत प्राकृतिक वर्णन .
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(२०-०६-२०२२ ) को
'पिता सबल आधार'(चर्चा अंक -४४६६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
जी, अत्यंत आभार।
Deleteलाजवाब
ReplyDeleteअति उत्तम
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteबहुत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति आदरनीय विश्वमोहन जी।एक सूक्ष्म कवि दृष्टि से निहार, पर्वतीय श्रेणियों के नैसर्गिक सौंदर्य को बहुत ही मोहक शब्दों में प्रस्तुत किया है आपने।हमेशा की तरह इस बार भी अनुप्रास छा गया।पत्नी टॉप और नत्था टॉप जैसी रोचक नामधारी जगहों से परिचय कराने के लिए आभार।खेद है कि मैने कभी इनका नाम तक नहीं सुना था।एक बार फिर से आभार और बधाई 🙏🙏
ReplyDeleteआपकी रचना बहुत ही सुंदर दृश्यवाली की अनुभूति करा गई।
ReplyDeleteमैं भी ९३ में परिवार के २५ लोगों के समूह में गई थी। बहुत ही सुंदर सुखद यात्रा थी । पर अभी तक तो उसे पटनी टॉप ही जानती थी। पत्नी टॉप तो और भी सुंदर नाम है । लोगों को जाना चाहिए। ऐसे विचारों का स्वागत है । बहुत बहुत शुभकामनाएं।
सही कहा ! विश्वमोहन जी ने पटनीटॉप का नामकरण पत्नीटॉप कर के और भी रोचक बना दिया !☺️
Deleteबहुत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति आदरनीय विश्वमोहन जी।एक सूक्ष्म कवि दृष्टि से निहार, पर्वतीय श्रेणियों के नैसर्गिक सौंदर्य को बहुत ही मोहक शब्दों में प्रस्तुत किया है आपने।हमेशा की तरह इस बार भी अनुप्रास छा गया।पत्नी टॉप और नत्था टॉप जैसी रोचक नामधारी जगहों से परिचय कराने के लिए आभार।खेद है कि मैने कभी इनका नाम तक नहीं सुना था।एक बार फिर से आभार और बधाई 🙏🙏
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteप्राकृतिक सौंदर्य कवि की लेखनी से जीवंत हो उठी है।
ReplyDeleteपटनी टॉप का अद्भुत सौंदर्य सहज ही स्मृतियों में तैर गया ।
सदैव की भाँति मनमोहक काव्यात्मक अभिव्यक्ति।
सादर
प्रणाम।
इतना सुंदर चित्रण है,कि तस्वीर आंखों के आगे तैर रही है।
ReplyDeleteबहुत खूब।
जी, अत्यंत आभार।
Deleteदोस्त, कश्मीर में पत्नी टॉप घूम आए ! वाह !
ReplyDeleteअब तुमसे सीख कर हम ग्रेटर नॉएडा में भी पत्नी को टॉप पर यानी कि अपने सर पर ही बिठाते हैं.
जी, अत्यंत आभार। यह नुस्खा तो शर्तिया अचूक है।😄🙏
Deleteपत्नी टॉप वाकई सुंदर जगह है ,बढ़िया लिखा आपने 😊
ReplyDeleteप्राकृतिक सुषमा पर सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteबहुत खूबसूरत रचना
ReplyDeleteआषाढ़ की पहली बारिश एवं जम्मू कश्मीर की प्राकृतिक सुंदरता...
ReplyDeleteवाह!!!
बहुत ही मनोरम शब्दचित्रण
लाजवाब सृजन।
जी, अत्यंत आभार।
Deleteबहुत बहुत सुन्दर भावपूर्ण
ReplyDeleteजी, सादर आभार।
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