(चित्र आधारित कविता, बच्चों के लिए)
फुदक-फुदक कर फदगुदी ने,
फड़-फड़ पर पसराए।
ठोक चोंच तृण नोकों पर,
लोल लाल लसराए।
घासों की हरियाली में,
कीट हरित खप जाए।
चतुर-चंचला गौरैया ये,
झट से गप कर जाए।
गौरैये की दादी ने
नानी की दाल चुरायी।
बेगारी में मिले अन्न को
खूँटे में गिरायी।
जब खूँटे ने ना कर दी,
तो गौरैया गुस्साई।
बढ़ई, सिपाही, राजा, रानी
सबको व्यथा सुनाई।
सांप, लाठी, आगी, समुंदर,
हाथी, जाल, घर पहुंची।
दाल दिला दे बिल्ली मौसी,
चूहा चूँ-चूँ, चीं-चीं!
आगे की सब बात पता है
कैसे बढ़ी कहानी।
बड़ी मुश्किल से दाल को पाई,
गौरये की नानी।
करके याद नानी की बातें,
पाते चट कर जाए।
फुदक-फुदक कर फदगुदी ने,
फड़-फड़ पर पसराए।
वाह बहुत सुन्दर
ReplyDeleteये कहानी हमसे होते हुए हमारे पोते तक तो पहुँच गयी है । बहुत सुंदर रचना ।
ReplyDeleteजी, कुछ बाल-कहानियाँ तो काल और स्थान दोनों से परे हैं अर्थात कालजयी और सर्व-स्थानिक। बस ज़ुबान अलग, जज़्बात वहीं! अत्यंत आभार!!!
Deleteये कहानी हमसे होते हुए हमारे पोते तक तो पहुँच गयी है । बहुत सुंदर रचना ।
ReplyDeleteपोते का तो अता पता अभी नहीं है, लेकिन भावी दादी को के रचना ज़रूर पसंद आई !!☺️
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार आपका; और साथ में इस रचना का भी, जिसने इतनी सुंदर संभावनाओं का सृजन किया।
Deleteबहुत प्यारी रचना। बच्चों के लिए सच में बहुत कम रचनाएँ आ रही हैं। कहानी को जब कविता में बुनकर सुनाया जाता है तो वह बड़ी जल्दी याद हो जाती है, ।
ReplyDeleteजी, हमें भी लग रहा है कि बच्चों की रचनाओं के कम आने के पीछे लोगों का, सोच के स्तर पर, असमय बूढ़ा हो जाना है। अत्यंत आभार!!!!
Deleteमनमोहक बालगीत ।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार!!!!
Deleteबहुत बहुत सुन्दर, मधुर और रोचक
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार!!!!
Deleteबहुत प्यारी
ReplyDeleteजी, आभार!!!!
Deleteनानी की कहानियों का जादू जब सिर चढ़कर बोलता है, फिर मत पूछो क्या-क्या नहीं कर लेते हैं बच्चे
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
जी, बहुत आभार!!!!
Deleteबहुत ही सुंदर भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteजी, बहुत आभार!!!!
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार २० मई २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
जी, अत्यंत आभार!!!!
Deleteअत्यंत रोचक, सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति आदरनीय विश्व मोहन जी ।बच्चों को सुनाने के लिए एक अनमोल धरोहर!७ चित्र की पूर्णता को साकार करता शब्दांकन।चिड़िया हमारे जीवन का अभिन्न अंग है ।उसका भावी पीढ़ी से परिचय होना जरुरी है।पर अभिव्यक्ति में रोचकता हो तो वह जल्दी दिल तक पहुंचती है।हार्दिक आभार और शुभकामनाएं 🙏🙏
ReplyDeleteआपके आशीष सदैव हमारा उत्साहवर्द्धन करते हैं। आभार!!!
Deleteवाह
ReplyDeleteअद्धभुत
खूँटा में दाल बा..
का खाऊँ, का पीऊँ, का ले परदेस जाऊँ! जी अत्यंत आभार!!!!
Deleteमेरे लेखन के प्रिय पात्रों में एक गौरैया रानी पर उत्कृष्ट रचना । मेरी गौरैया पर करीब 20 रचनाएँ हो गई हैं। अभी करीब तीन महीने किचन की खिड़की पर बसेरा किए हुए थीं परिवार सहित । ।
ReplyDeleteगौरैया के मनोभावों को व्यक्त करती सुंदर रचना ।
आपकी गौरैयों के प्रति संवेदनशीलता जगज़ाहिर है। अत्यंत आभार आपका!!
Deleteबाल मन नाच उठा।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार!!!
DeleteWah ! Bahut hi pyaare expressions ! Mazaa aa gaya 😊 Apne bachpan ke vacations me jab gaon jaate the , dadi se is kahaani ki roj pharmaish kartein the...na dadi kabhi bolte thaki aur na hum kabhi sunte thake......khoote me mor daal hai , ka khaau ka peeyu , ka le pardes jaaon.....gauraiya aur daal ki dastaan👌👌
ReplyDeleteबिलकुल सही। ना जाने पिछली कितनी पीढ़ियों से यह कहानी चली आ रही है। लेकिन आगे का कोई भरोसा नहीं, कहा जाकर यह धारा सुख जाय! बहुत आभार आपके यहाँ आने का!
Deleteकितनी अच्छी कही कहानी, मज़ा आ गया प्यारे, किस्सागोई में तो भैया, हम भी तुमसे हारे !
ReplyDeleteजी, आपके गुरुत्व का ही प्रभाव है। अत्यंत आभार।
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