Sunday 15 June 2014

बिदा बहुरिया

सुत  गई गोरी, ऑखें खोली,
बिंदिया, चूड़ी, कुमकुम रो ली I



सजा बिछौना, उड़े पताका,
बंध गयी बांस में, जीवन-गाथा I

सजी सेज़ में, लगे लुआठी,
भसम हुआ सब, हो गया माटी I



आसमान से बहे बयरिया,
अगियन की लपटन धधकाये I

पानी भाप बन, उड़ गये उपर,
तन माटी बन, धुल धुसराये I

खतम खेल अब, बुझ गयी बाती,
बिदा बहुरिया, बचे बाराती ! 


आज बाराती, कल बहुरिया,
जीव-जगत के एही चकरियाI

5 comments:

  1. Renu's profile photo
    Renu
    +1
    विदा बहुरिया --
    हुई बेगानी जग नगरिया --
    आज बाराती कल राही उसी पथ के --
    जहाँ आज तुम सो गई थक के ---
    पर विरह में विकल सावंरिया -
    पल पल छलकाए नैन गगरिया -- विदा बहुरिया -- लोक रंग में सजी सुंदर रचना
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    Nov 3, 2017
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    +Renu आभार !!!

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  2. NITU THAKUR's profile photo
    NITU THAKUR
    +1
    lajawab...
    shandar....
    jandar....
    behetarin.....
    list bahot lambi ho jayegi
    Nov 4, 2017
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    +1
    +Nitu Thakur आभार!!!
    Nov 4, 2017
    अमित जैन 'मौलिक''s profile photo
    अमित जैन 'मौलिक'
    Owner
    +1
    Wahhhhhh। बहुत बहुत शानदार। छोटे लेकिन बड़े पैने सटीक संतुलित गागर में सागर वाले छंद युक्त रचना।
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    Nov 4, 2017
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    आभार!!!

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  3. Punam Mohan's profile photo
    Punam Mohan
    +1
    nache barati, vida bahuriya.......... jeevan ka hai yahi chakariya!!
    Jun 19, 2014
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    आज बाराती , कल बहुरिया ,
    जीव-जगत की एही चकरिया।
    Jun 20, 2014
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    +Punam Mohan वाह! बिलकुल सत्य!!!

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  4. जीवन के अटल सत्य को उद्घाटित करती मार्मिक रचना ।

    विदा बहुरिया !
    हुई बेगानी जग नगरिया !
    जहाँ आज तुम सो गई थक के
    आज बाराती कल राही उसी पथ के
    साँस -साँस संग घटता जीवन
    थमे ना पल भर काल का पहिया
    हुई बेगानी जग नगरिया !
    नश्वर जीव -जगत का नाता
    जो बिछुड़ा ना लौट के आता
    पर विरह में विकल साँवरिया
    पल -पल छलकाए नैन गगरिया
    हुई बेगानी जग नगरिया !
    विदा बहुरिया!!
    सादर 🙏🙏💐💐🙏🙏

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    1. जीव-जगत के परम सत्य का सुंदर चित्रण। सत्यम, शिवम, सुंदरम। आभार।

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